समस्तीपुर : बिहार में बाढ़ ने हाहाकार मचा रखा है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी में पानी का रोजगार बह चुका है. जिले में भारी बारिश और बाढ़ के चलते मत्स्यपालकों को काफी नुकसान हुआ है. पोखर और अन्य जलाशयों में पानी भरने से मछली और मछली के बीज बह गया है. वैसे मत्स्य विभाग नुकसान का आंकलन और मत्स्य पलकों को जल्द सहायता देने का दावा कर रहा है.
प्रकृति के कहर से इस वर्ष भी बिहार के लोग हलकान हैं. बाढ़ और बारिश के पानी ने ऐसा कहर बरपाया है, जिससे जिले में पानी से जुड़ा कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया है. दरअसल, जिले में मत्स्यपालन के क्षेत्र में काफी बेहतर काम चल रहा है. बहुत से लोगों ने इसे रोजगार का सशक्त जरिया बनाया. लेकिन बाढ़ के पानी ने इनके इस रोजगार पर पानी फेर दिया. महीनों की मेहनत और पूंजी से तैयार मछली और मछली के बीज बाढ़ की भेंट चढ़ गये. ऐसे में मत्स्य पालकों को समझ में नहीं आ रहा कि वो करें भी तो करें क्या.
समस्तीपुर से अमित की रिपोर्ट
गंडक नदी के किनारे ही हमारा तालाब था. बाढ़ आने के बाद सबकुछ बह गया. चार लाख का नुकसान हुआ है- नीतीश कुमार, मत्स्य पालक
मत्स्य पालन को पहुंचा नुकसान सरकारी मदद की आस
मत्स्य पालकों के दर्द पर मरहम लगाने के सावल पर जिला मत्स्य विभाग के वरीय अधिकारी बताते हैं कि राज्य सरकार के गाइडलाइन के अनुसार नुकसान का आंकलन किया जा रहा है. ऐसे बाढ़ और बारिश से मत्स्य पालकों के पोखर और जलाशय के फिजिकल डैमेज पर 12 हजार 200 रुपये प्रति हेक्टेयर दिया जायेगा. वहीं, मछली और बीज परिपेक्ष्य में हुए नुकसान पर 8 हजार 200 प्रति हेक्टेयर का प्रवधान तय किया गया है. जांच के बाद प्रभावित मत्स्य पालकों को जल्द ही सरकारी सहायता मिलेगा.
गौरतलब है कि जिला मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के राह पर था. वहीं, बड़ी संख्या में लोगों ने इसे रोजगार का जरिया भी बनाया. लेकिन बाढ़ के पानी में इनका रोजगार अब बर्बाद हो गया है.