समस्तीपुर: भगवान भोलेनाथ पर चढ़ने वाले फूल और बेलपत्र अब खेतों के लिए भी वरदान साबित होंगे. दरअसल, एग्रीकल्चर कॉलेज पूसा ने बाबा गरीबनाथ पर चढ़ने वाले फूल और बेलपत्र से जैविक खाद बनाने की योजना पर काम शुरू किया है. खास बात यह होगी कि ऐसे खाद पर्यावरण और फसलों के लिए काफी अनुकूल होंगे. साथ ही मंदिर से निकले कचरे का भी निपटान होगा.
जानकारी के मुताबिक राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने एक अनूठा प्रयास शुरू किया है. अब यहां के कृषि वैज्ञानिक मंदिरों में भक्तों के चढ़ाए फूल और बेलपत्रों का उपयोगी खेती उपयोगी खेती में करेंगे. इस कड़ी के पहले चरण में मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ पर चढ़ाए जाने वाले फूल और बेलपत्र का इस्तेमाल होगा.
कई मायनों में है फायदेमंद
केंद्रीय विश्विद्यालय के वीसी के अनुसार फूल व बेलपत्र से बनने वाले खाद जहां खेती के लिए काफी बेहतर हैं. वहीं, यह मिट्टी और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी सही है. इतना ही नही मंदिरों में आस्थापूर्ण चढ़ाए जाने वाले फूल भी कूड़े में नहीं फेंके जाएंगे.
लोगों की आस्था का सही इस्तेमाल ये भी पढ़ें: 9 जनवरी से जल-जीवन-हरियाली के 7वें चरण की शुरुआत, 2 दिनों में 4 जिलों का दौरा करेंगे CM नीतीश
70-80 दिनों का लगेगा टाइम
बता दें कि 70 किलो फूल और बेलपत्र में 30 से 35 किलो गोबर मिलाया जाएगा. उसके बाद इसमें उत्तम नस्ल के करीब दो किलो केंचुए छोड़े जायेंगे. 70 से 80 दिनों बाद इस अवशिष्ट से करीब 40 किलो जैविक खाद तैयार होगा. मिट्टी और पर्यावरण को समझने वाले जानकरों के अनुसार पूसा एग्रीकल्चर के इस प्रयोग से पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी.