समस्तीपुर:हाल ही में सूरत स्थित कोचिंग सेंटर में अगलगी हुई, जिसमें 20 मासूमों की जान चली गई. लेकिन, हमारा सिस्टम इस हादसे से सीख नहीं ले रहा है. अब भी धड़ल्ले से प्रदेश की तंग गलियों में बगैर एहतियात के कोचिंग संस्थान चलाए जा रहे हैं. प्रशासन भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए मौन है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले से लेकर पढ़ाने वालों तक की जान भगवान भरोसे है.
समस्तीपुर जिले में 300 से ज्यादा कोचिंग संस्थान होंगे. जिसमें महज 15 से 20 संस्थान ही रजिस्टर्ड हैं. इससे साफ जाहिर है कि जिले में सिस्टम बेसुध है. यह संस्थान छात्रों के भविष्य और जान को लेकर लापरवाह है. इनका मकसद केवल पैसे कमाना रह गया है. कुछ ऐसी ही उदासीनता सूरत की उस कोचिंग संस्थान में भी थी, जिसका खामियाजा मासूमों को जान गंवाकर भुगतना पड़ा.
बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव
जिला मुख्यालय के तंग गलियारों में सैंकड़ों कोचिंग संस्थान खुलेआम चल रहे हैं. जिसमें बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव देखा जा सकता है. सैकड़ों छात्रों से भरे इन कोचिंग संस्थानों में आने-जाने के लिए तंग रास्ता है. जहां पैदल चलना भी मुश्किल है तो गाड़ियों का आवागमन असंभव ही है. ऐसे में किसी आपात स्थिति में क्या हालात होंगे, इसे सहज ही समझा जा सकता है. फायर ब्रिगेड अधिकारी भी साफ कह रहे हैं कि इन तंग गलियों में आग पर काबू पाना असंभव है.
सवाल से बचते दिखे DEO
यही नहीं जिले के अनेकों संस्थान घरों में चल रहे हैं. जहां फायर सेफ्टी जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्या उपाय अपनाए जाएंगे, इसका कुछ पता नहीं है. इस बाबत जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो वह बचते दिखे.
क्या कहता है नियम?
गौरतलब है कि नियम के अनुसार कोचिंग संस्थानों में फायर सेफ्टी के साथ-साथ प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था होनी चाहिए. लेकिन, जब सैकड़ों कोचिंग सेंटर बगैर रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं तो ऐसे में इनसे नियम पालन की उम्मीद करना बेमानी ही होगी.