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समस्तीपुर: : विश्व स्तनपान सप्ताह की हुई शुरूआत, महिलाओं को किया जा रहा जागरूक

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Published : Aug 5, 2019, 10:26 PM IST

बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए मां का दूध सर्वोत्तम आहार माना गया है. नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा मां का पहला दूध ही संपूर्ण आहार होता है.

समस्तीपुर में चलाया जा रहा जागरूकता कार्यक्रम

समस्तीपुर: पूरे विश्व में स्तन पान दिवस मनाया जा रहा है. स्तन पान के महत्व को देखते हुए समस्तीपुर जिले में भी जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. कार्यक्रम का संचालन सरकारी संस्था कर रही है. महिलाओं को यह समझाया जा रहा है कि, कैसे मां का दूध बच्चों को कुपोषण और कई गंभीर बीमारियों से बचाने में कारगर है.

कार्यक्रम की जानकारी देतीं आशाकर्मी

स्तनपान के आंकड़ों में आयी गिरावट
बच्चों के मानसिक और शरीरिक विकास के लिए मां के दूध को सर्वोत्तम आहार माना गया है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ें बताते हैं कि जिले के अधिकांश बच्चे मां के दूध से वंचित रह जाते हैं. जन्म के एक घन्टे के अंदर मां का गाढ़ा पीला दूध केवल 37 फीसदी नवजात को ही मिल पाता है. वहीं जन्म से छह माह तक के करीब 44 फीसदी बच्चे ही मां का दूध पी पाते हैं.


विश्व स्तनपान सप्ताह
'विश्व स्तनपान सप्ताह' हर साल अगस्त में 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है. इसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार और कार्य के प्रति जागरूक करना होता है. कामकाज के स्थानों और कार्यालयों में भी इस प्रकार का माहौल बनाने पर बल दिया जाता है, जिससे कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो. मां का दूध शिशुओं को कुपोषण और अतिसार जैसी बीमारियों से बचाता है. स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है.

स्तनपान कराने के लिए महिलाओं को प्रेरित किया जा रहा


क्या कहता है WHO?
WHO के अनुसार, नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा मां का पहला दूध संपूर्ण आहार होता है. इसे बच्चे को जन्म के 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए. इसके अलावा सामान्यत: बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक नियमित रूप से स्तनपान कराते रहना चाहिए. शिशु को 6 महीने की अवस्था के बाद भी लगभग 2 वर्ष से अधिक समय तक स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है.

डिब्बा बंद दूध का बढ़ता चलन


स्तनपान से मां को होने वाले लाभ

⦁ स्तनपान कराने से मां को स्तन कैंसर, ओवेरियन और बच्चेदानी के कैंसर जैसी भयावह रोगों का खतरा कम हो जाता है.

⦁ शिशु को स्तनपान कराने के दौरान निकलने वाले हार्मोंस की सहायता से मां का बढ़ा हुआ पेट जल्दी कम होता है. साथ ही प्रसव के बाद रक्तस्राव भी कम होता है.

⦁ स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मासिक रुकने के बाद हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसिस) की संभावना भी कम होती है.
⦁ स्तनपान से पोस्ट प्रेग्नेंसी डिप्रेशन के आसार कम होते हैं. मां के शरीर की गर्मी से कमजोर शिशुओं का शारीरिक विकास भी बेहतर होता है.

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