पटना: बिहार में सेवा शर्त जारी करके सरकार ने एक तरह से शिक्षकों की नाराजगी मोल ले ली है. सेवा शर्त के प्रावधानों से शिक्षक खासे नाराज हैं और इसे तुरंत वापस लेने की मांग कर रहे हैं. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने एक बार फिर सरकार को पत्र लिखकर सेवा शर्त की खामियां गिनाई है. साथ ही अपनी मांगों को याद दिलाते हुए तुरंत वार्ता के लिए बुलाने का अनुरोध किया है.
शिक्षक संध ने गिनाई नई सेवा शर्त नियमावली की खामियां
राज्य के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का कहना है कि सरकार उनकी रत्ती भर मांग भी पूरी नहीं की है. पहले से ही शिक्षकों को कई वर्गों में विभक्त कर उनकी एकता को खंडित करने का प्रयास किया है. वहीं अब महिला, दिव्यांग और पुरुष शिक्षकों में फूट डालने की भी साजिश रची गई है. पूर्ण वेतनमान न देकर उसकी जगह अप्रैल, 2021 से वेतन में मामूली बढ़ोत्तरी और भावी प्रभाव और आधू-अधूरे ईपीएफ का लाभ देने का ढिढ़ोरा पीट रही है. पूर्व से मिल रही कई सुविधाओं व सहूलियतों को भी हटा दिया गया है. नियोजित शब्द हटाने के नाम पर पंचायती राज व्यवस्था की दलदल में और ढकेल दिया गया है. विद्यालय में चपरासी से लेकर प्रधानाध्यापक/प्राचार्य के पदों को समाप्त कर नियोजन वाद की ओर ढकेल दिया गया है. प्रधानाध्यापक व प्राचार्य की जगह बड़ी ही चालाकी से प्रधान अध्यापक का पद, लिपिक की जगह विद्यालय सहायक और आदेशपाल की जगह विद्यालय परिचारी का पद बना कर सभी की नियुक्ति और प्रोन्नति की जिम्मेवारी नियोजन इकाई के अंतर्गत कर दिया है.
शिक्षकों का कहना है कि पंचायती राज व्यवस्था से अलग करने की हमारी मांग थी. परंतु इस सेवा शर्त के तहत स्थानीय निकायों का शिकंजा शिक्षकों पर पहले से अधिक कसेगा. वरीयता का निर्धारण स्थानीय निकायें होंगी. अधिकांश अवकाशों की स्वीकृति पंचायतीराज संस्थानों से होगी, जबकि पूर्व के नियमावली के अनुसार लगभग सभी अवकाश प्रधानाध्यापक को ही स्वीकृत करने का अधिकार था. महिलाओं के मातृत्व अवकाश की स्वीकृति के लिए भी अब नियोजन इकाई का चक्कर लगानाा पड़ेगा. जिससे उनको अनावश्यक परेशानी के साथ-साथ मानसिक और आर्थिक शोषण भी झेलना पड़ सकता है.
शिक्षक संध का कहना है कि सरकार ने पूर्व से मिल रहे 10 वर्षों के सेवा के उपरांत एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि का लाभ भी समाप्त कर दिया है तो वहीं प्रधानाध्यापक को सेवापुस्तिका संधारण का अधिकार भी छीन लिया गया. अब इन परिस्थितियों में स्वच्छता प्रमाण पत्र लेने में शिक्षकों को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा.