समस्तीपुर: मरीजों के बेहतर इलाज के लिए केंद्र सरकार के जरिए बनाई गई आयुष्मान भारत योजना स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के कारण जिले में फिसड्डी साबित हो रही है. स्वास्थ्य विभाग और इससे जुड़े अन्य विभागों के बीच तालमेल नहीं होने की वजह से इलाज और गोल्डन कार्ड बनाने का काम काफी पीछे रह गया.
9 अस्पतालों ने नहीं किया एक भी मरीज का इलाज
आयुष्मान भारत योजना का हाल जिले में सुधरने का नाम नहीं ले रहा. अगर इससे जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो, अब तक इसके तहत जिले में महज 5 हजार 977 मरीजों का इलाज हुआ है. जिले में वैसे तो गोल्डन कार्ड से इलाज को लेकर 20 सरकारी अस्पताल रजिस्टर्ड हैं. लेकिन अगर बीते वर्ष दिसंबर से जनवरी तक के आंकड़े पर गौर किया जाए तो 9 अस्पतालों ने एक भी मरीजों का इलाज नहीं किया.
'नहीं मिल रहा अन्य विभागों का साथ'
जिले में करीब 28 लाख 23 हजार लोगों का गोल्डन कार्ड बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. वहीं, विभागीय जानकारी के अनुसार महज 1 लाख 20 हजार लोगों का ही कार्ड बना है. इस मामले पर जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर सियाराम मिश्र ने कहा की हम अपने दम पर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन इससे जुड़े अन्य विभागों का साथ नही मिल पा रहा है.
डॉ. सियाराम मिश्र, सिविल सर्जन, समस्तीपुर सिस्टम पर भारी पड़ रहे बिचौलिए
सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है की इस योजना में बिचौलियों की भूमिका सिस्टम पर भारी पड़ रही है. खासतौर पर गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से उलझी है. गौरतलब है की इस योजना में पंचायती राज विभाग की तरफ से संचालित कॉमन सर्विस सेंटर की भूमिका काफी अहम है. लेकिन बेहतर तालमेल के आभाव में स्वास्थ्य विभाग और सीएससी इस योजना पर गंभीर नहीं है.