सहरसा: बिहार के सहरसा सदर अस्पताल में पिछले दो दिनों से जमीन में बेसहारा पड़े मरीज(Patient lying On Floor In front Of Emergency Ward) की आखिरकार बुधवार की शाम मौत हो गई. लावारिस (Unclaimed patient died in Saharsa) के शव को उठाने वाला भी कोई नहीं है. 24 घण्टे से मरे पड़े इस मरीज के शव से बदबू भी आने लगी है, वहीं अस्पताल प्रशासन अभी भी लापरवाह बना हुआ है. अस्पताल में भर्ती मरीज और उनके परिजन शव के दुर्गंध से परेशान हैं. साथ ही लोगों का ये भी कहना है कि वक्त रहते अगर प्रशासन ध्यान देता तो इस मरीज की जान बच सकती थी.
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जिंदगी और मौत से जूझ रहा था मरीजः दरअसल यह लावारिस मरीज दो दिन पहले से ही सदर अस्पताल सहरसा में जिंदगी और मौत से जूझ रहा था. इसे कोई देखने वाला नहीं था. ईटीवी भारत डिजिटल की पहल पर लावारिस मरीज का सदर अस्पताल प्रशासन के द्वारा इलाज भी करवाया गया. लेकिन इलाज में काफी देर होने के कारण मरीज बच नहीं सका और बीते बुधवार की शाम उसकी मौत हो गयी. तब से लावारिस मरीज का शव अस्पताल में ही जमीन पर पड़ा हुआ है.
लावारिस मरीज की मौतःवहीं, अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन अमरेश कुमार ने बताया कि कल ही इस लावारिस मरीज की मौत हो गयी है. कल से ही यहां पड़ा हुआ है. दुर्गंध दे रहा और अभी तक इसको हटाया नहीं गया है. सबको परेशानी हो रहा है. प्रशासन को देखना चाहिए लेकिन अभी तक देखा नहीं जा रहा है. ये प्रशासन के ढीलापन को उजागर कर रहा है.
"लाश से दुर्गंध आ रहा और अभी तक इसको हटाया नहीं गया है. यहां भर्ती सभी मरीज को परेशानी हो रही है. प्रशासन को देखना चाहिए. वक्त रहते अगर प्रशासन ध्यान देता तो इस मरीज की जान बच सकती थी. ये प्रशासन के ढीलापन को उजागर कर रहा है "-अमरेश कुमार, भर्ती मरीज के परिजन
सरकारी एंबुलेंस से आया था मरीजः आपको बता दें कि बुधवार को जब ये मरीज अस्पताल में जमीन पर पड़ा था, तब ईटीवी भारत को सदर अस्पताल के सुरक्षा गार्ड ने बताया था कि इस लावारिस मरीज को एक सरकारी एंबुलेंस लेकर आया था और अस्पताल में छोड़कर चला गया. तब से ही ये लावारिस मरीज इमरजेंसी वार्ड के सामने नीचे जमीन पर पड़ा हुआ है. वो मंगलवार सुबह 9:00 से यूं ही इमरजेंसी वार्ड के आगे ये अर्धनग्न अवस्था में पड़ा हुआ था. इसे कोई देखने वाला नहीं था.
वहीं इस मामले को लेकर जब सिविल सर्जन डॉ केके मधुप से मीडिया ने सवाल किया था तो उनका जवाब हैरान करने वाला था. सीएस ने कहा कि क्या लावारिस मरीज के देखभाल की जिम्मेदारी सिर्फ अस्पताल प्रशासन की है, क्या जिला प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है. फिर जब सवाल किया गया क्या अस्पताल में लाकर मरीजों को छोड़ देने के बाद भी जिला प्रशासन जिम्मेवार होगा. तब उन्होंने कहा कि हम इस मामले को तुरंत दिखाते हैं. सीएस के इस बयान से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल प्रशासन लावारिस मरीज को लेकर क्या प्रबंध करती है और कितनी सजग है.