सहरसा:गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर संसाधन का दावा सरकार की तरफ से खूब होती है. लेकिन जमीनी हकीकत कहीं इसके उलट दिखती है. सहरसा जिला मुख्यालय में स्कूल की जर्जर हालत है. जिसकी वजह से छात्राएं खौफ के साये में पढ़ाई कर रही हैं.
जर्जर स्कूल में जान हथेली पर रख कर पढ़ रही बच्चियां एक तरफ सरकार लड़कियों को बढ़ावा देने की बात करती है. दूसरी तरफ जान खतरे में डालती है. जी हां, जिला मुख्यालय सहरसा के राजकीय कन्या मध्य विद्यालय का कुछ ऐसा ही हाल है. भवन जर्जर हो चुके हैं. लड़कियां पढ़ने भी आ रही हैं लेकिन जान हथेली पर रखकर. कब हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता. 1955 में स्थापित इस विद्यालय में करीब 400 लड़कियां पढ़ती हैं. छात्राओं और शिक्षकों को पठन-पाठन से ज्यादा खुद को सुरक्षित रखने पर ध्यान लगा रहता है.
स्कूल भेजने में परिजनों को सता रहा डर
स्कूली छात्रा ने ईटीवी भारत को बताया, हमलोगों को डर लगा रहता है. इस स्कूल में कई बार चट्टान भी गिरा है. पता नहीं कब क्या हो जाए. वहीं दूसरी बच्ची ने बताया कि यहां पढ़ने से परिजन, शिक्षिका और हम बच्चियां सब डरे रहते हैं. कहीं किस के उपर छत का चट्टान न गिर जाए. कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी है. भवन पुराना होने के कारण घर वाले डरे रहते हैं. कहीं स्कूल में कोई बड़ा हादसा न हो जाए.
कई छात्रा और शिक्षिका हो चुकी हैं घायल
शिक्षिका सुधा कुमारी ने ईटीवी भारत को बताया भवन जर्जर हो चुका है. डर लगता है, कब हादसा हो जाए. कई बार शिक्षिका,और बच्चियां घायल हो चुकी हैं. इस बारे में विभाग को पत्र लिखा. इस संदर्भ में जिलाधिकारी से मुलाकात भी की. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. समस्या जस की तस बनी हुई है.
शिकायत के बाद भी नहीं सुनते अधिकारी
स्कूल की प्रिंसिपल बेबी कुमारी कहती हैं, यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. छत से चट्टान गिरता है. कई बार वरीय अधिकारी को लिख कर दिए. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. छात्राओं और टीचरों का डर लाजमी है. जर्जर हो गए इस भवन को देख किसी की भी सांसे अटक सकती है. ऐसे में क्या जिम्मेदार किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं?