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15 डॉक्टर के भरोसे चल रहा कोशी का PMCH, सरकार को भेजा त्राहिमाम संदेश

सदर अस्पताल में जहां 58 चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए, वहीं मात्र 15 डॉक्टर से काम चलाया जा रहा है. 5 लाख की आबादी पर जिले में सदर अस्पताल, दस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और पंद्रह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है.

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Published : Jun 19, 2019, 3:39 PM IST

सहरसा सदर अस्पताल

सहरसा: बिहार में चिकित्सकों की भारी कमी है. आलम यह है कि कोशी क्षेत्र का पीएमसीएच कहा जाने वाला सहरसा का सदर अस्पताल अपने तंगहाली पर रोने के लिए मजबूर है.

समाज सेवी

सहरसा सदर अस्पताल में जहां 58 चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए, वही मात्र 15 डॉक्टर से काम चलाया जा रहा है. इसके कारण कोशी में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. यहां सहरसा, सुपौल और मधेपुरा से सैंकड़ों मरीज सहरसा सदर अस्पताल इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण बेहतर चिकित्सा से वंचित रह जाते हैं.

सिविल सर्जन ललन कुमार

जिले में डॉक्टरों की भारी कमी
5 लाख की आबादी पर जिले में सदर अस्पताल, दस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और पंद्रह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. जहां मात्र 26 चिकित्सक तैनात हैं. 16 रेगुलर चिकित्सक और शेष संविदा पर नियुक्त हैं. इन आंकड़ों से बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का सरकारी दावा खोखला साबित हो जाता है.

कोशी का पीएमसीएच

एम्स से कम नहीं सदर अस्पताल
समाज सेवी अजय सिंह और मंजीत बताते हैं कि यहां दूर-दराज के इलाके से गरीब लोग इलाज कराने आते है. डॉक्टर की कमी की वजह से रेफर करना पड़ता है. इस पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. पिछड़े इलाके के लोगों के लिए यह एम्स से कम मायने नहीं रखता है. जब पुरे प्रदेश में हीट वेव और दिमागी बुखार ने त्राहिमाम मचा रखा है. वही यह अस्पताल ऐसे मरीजों के इलाज के लिए पूर्णतः लाचार बना हुआ है.

सरकार को त्राहिमाम संदेश
इस संदर्भ में सिविल सर्जन ललन कुमार ने बताया कि 58 डॉक्टर की जगह मात्र 15 डॉक्टर ही हैं. इन्ही डॉक्टरों से काम लिया जा रहा है. यहां 43 डॉक्टर की कमी है. डॉक्टरों की कमी के कारण मरीज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में परेशानी होती है. मौजूदा परस्थिति में सरकार और विभाग को त्राहिमाम संदेश भेजा है. कोशी क्षेत्र के लोग जहाँ प्रत्येक वर्ष तबाही का दंश झेलते हैं. लोग अपना सब कुछ गवां कर कंगाल हो जाते है. ऐसे में गरीबी की मार झेल रहे मरीजों के लिए निजी नर्सिंग होम में इलाज कराना कठिन है. यहां डॉक्टरों की घोर कमी का एकमात्र कारण सरकारी उदासीनता एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति का अभाव है.

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