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सहरसा की 'बेजुबान' निधि, जो बेजान तस्वीर में भी डाल देती हैं जान - निधि की पेंटिंग्स

सहरसा की एक दिव्यांग लड़की निधि ने अपनी पेंटिंग से सबका लोहा मनबाया है. उनकी पेंटिंग की चर्चा अब हर जगह हो रही है.

पेंटिंग करती निधि

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Published : Apr 27, 2019, 2:07 AM IST

सहरसा: अगर हाथ में हुनर हो तो बेजान वस्तुएं भी मुंह बोलती बन जाती हैं. सहरसा के पशुपालन कॉलोनी में रहने वाली निधि बेजुबान है. लेकिन अपने हाथ की कलाकारी से तस्वीरों को ऐसी शक्ल देती हैं कि बेजान कागज भी जीवंत हो उठता है.

सुन और बोल नहीं सकती निधि
सहरसा की बेजुबान निधि ने साबित कर दिया है कि प्रतिभा कभी भी चेहरा, गुण या संपत्ति देखकर नहीं आती. यह परिश्रम और जुनून से निखरता है और जब प्रतिभा निखरता है तो वह दुनियां की और नहीं, बल्कि दुनियां उसकी और देखती है. निधि जन्म से दिव्यांग हैं. वह न सुन सकती हैं न बोल सकती हैं. लेकिन उनकी प्रतिभा ने इस जन्मजात दिव्यांगता को न सिर्फ ढक दिया है साथ ही उनकी प्रतिभा को बेहद प्रसिद्ध बना दिया है.

सहरसा से ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट


पेंटिंग से खींचा हर किसी का ध्यान
दरअसल निधि बेहतरीन पेंटर है. उसकी पेंटिंग देख हर कोई दांतों तले ऊंगली दबाते रह जाते हैं निधि की मां बताती हैं कि यह बचपन से बोल और सुन नहीं सकती है. लेकिन निधि शुरुआता से ही बैठ कर चित्र बनाती रहती थी. इतना ही नहीं, घर के वैसे सामान जिसका कोई काम नहीं रहता उसको भी यह उपयोग में लाकर घर के सजाने के काम में ले आती थी.


निधि के पेंटिंग की हर तरफ तारीफ
देखते ही देखते निधि मिथिला पेंटिंग में निपुन हो गयीं. आज उनकी पेंटिंग की हर तरफ तारीफ हो रही है. लोग दूर-दराज से आकर हाथों से बनी निधि की पेंटिंग को देखते हैं. उसकी तस्वीरें खींचकर साथ ले जाते हैं. घर वाले बताते हैं कि निधि की रूचि को देखते हुए उन्होंने पेंटिंग बनाने में निधि का भरपूर सहयोग दिया. जिसके बाद हाथ का हुनर दिखाती निधि एक से बढ़कर एक पेंटिंग को जिवंत शक्ल देती चलीं गईं.

निधि द्वारा हाथ से बनाई गई पेंटिंग्स


लोग लगा रहे सरकार से मदद की आस
निधि दिव्यांगता को अपनी लाचारी नहीं बल्कि अपने हुनर और प्रतिभा से वरदान बनाने वालों के लिए उदाहरण स्वरुप बन चुकी हैं. परिजन सहित आसपास के लोगों का भी कहना है कि यदि सरकार ऐसी प्रतिभा में उड़ान भर दे तो निधि की काबिलियत देश और दुनिया में रंग बिखेरेगी. साथ ही किसी के लिए दिव्यांगता बोझ नहीं बनेगा.

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