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पिछले 15 सालों से नहीं खुला है ये अस्पताल, लोगों ने भवन को बना दिया तबेला - पशु पालक का बयान

इस अस्पताल में एक भी डॉक्टर या कोई अस्पताल कर्मचारी मौजूद नहीं है. अस्पताल बंद होने की वजह से ग्रामीणों ने इसे पशुपालन के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

बदहाल अस्पताल

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Published : Jul 4, 2019, 9:00 AM IST

सहरसा: मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस बीमारी ने कई बच्चों की जान ले ली है. इस घटना के बाद से स्वास्थ्य विभाग सभी अस्पताल को दुरुस्त करने में लग गया है. लेकिन, इसके बावजूद कई स्वास्थ्य केंन्द्रों ने अब तक इससे सीख नहीं ली है. जिले का उप स्वास्थ्य केन्द्र अपनी बदहाली की मार झेल रहा है. यह अस्पलात अब तबेले में बदल गया है.

ग्रामीण

15 साल से बंद है अस्पताल

दरअसल, सहरसा के सत्तरकटैया प्रखंड स्थित रकिया गांव का उपस्वास्थ्य केंद्र बीते 15 साल से गाय-भैंस का तबेला बन गया है. यहां एक भी डॉक्टर या कोई अस्पताल कर्मचारी मौजूद नहीं है. अस्पताल बंद होने की वजह से ग्रामीण इसे पशुपालन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि इस बात की जानकारी अस्पताल प्रशासन को भी है. लेकिन, किसी ने इस मामले में आज तक सुध लेने की जरुरत नहीं समझी.

पशु पालक का बयान

पशु पालक बताते हैं कि पिछले कई सालों से यह अस्पताल बंद है. किसी के नहीं होने के कारण यहां मवेशी को रखते हैं. उन्होंने कहा कि वे खुद चाहते हैं कि इस अस्पताल को शुरू की जाए. ताकि लोगों को इलाज के लिए दूर जाना नहीं पड़े.

लनन सिंह, सिविल सर्जन

अस्पताल बंद होने से परेशन ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि इस अस्पताल के बंद होने से लोगों को इलाज के लिए सदर अस्पताल जाना पड़ता है. सदर अस्पताल इस इलाके से काफी दूर है. इमरजेंसी की स्थिति में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी कई बार अस्पताल प्रशासन को भी की गई. लेकिन, अभी तक किसी ने इस पर कार्रवाई नहीं की है.

सहरसा के उप स्वास्थ्य केन्द्र को लोगों ने बना दिया तबेला

'वरीय अधीकारी करेंगे कार्रवाई'

इस संबंध में सिविल सर्जन ने अपना पल्ला झाड़ दिया है. सिविल सर्जन लनन सिंह ने कहा कि कई बार ग्रामीणों को मवेशी नहीं बांधने की चेतावनी दी गई है. बावजूद लोग अपनी मनमानी कर रहे हैं. जल्द ही वरीय अधीकारी को कह कर मवेशी को हटाया जाएगा और फिर से अस्पताल को शुरू किया जाएगा.

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