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दलित बस्तियों को नहीं मिल पा रहा है मुफ्त में शौचालय योजना का लाभ, खुले में शौच को मजबूर

सरकारी नियम के अनुसार शौचालय बनाने के लिए पहले खुद अपनी जेब से पैसा लगाना पड़ता है. लेकिन इस दलित बस्ती के लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि वह अपने पास से रकम देकर शौचालय बना सके.

दलित बस्ती

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Published : Apr 22, 2019, 10:36 AM IST

रोहतासः सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक सात निश्चय योजना है. जिसके तहत हर गरीब परिवार के लोगों को मुफ्त में शौचालय बनाने की बात कही गई थी. लेकिन हकीकत में इस योजना का लाभ दलित बस्ती के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. नतीजा शौचालय के अभाव में ये लोग आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

जिला मुख्यालय से तकरीबन बीस किलोमीटर दूर करगहर प्रखंड के सिरसिया गांव के लोग खुले में शौच जाते हैं. तकरीबन ढाई सौ घरों की आबादी वाले इस दलित गांव में आज भी किसी के घर में शौचालय नहीं है. वहीं, गांव वालों ने बताया कि ढाई सौ घरों की बस्ती में महज दो ही घरों में शौचालय है. शौचालय नहीं होने की वजह से ये लोग गांव के बाहर ही शौच करने को मजबूर हैं.

दलित बस्ती में बच्चे

क्या है ग्रामीणों की परेशानी
इतना ही नहीं इन्हें सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों में होती है. जब खेत में पानी जमा हो जाता है और वहां शौच करना मुश्किल हो जाता है. ग्रामीण इलाका होने की वजह से हमेशा इस बात का डर भी रहता है कि रात के अंधेरे में कोई अनहोनी ना हो जाए. वहां रहने वाले परिवारों से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि हम गरीब हैं और हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम पैसा लगाकर शौचालय बना सके.

बयान देते दलित बस्ती के लोग

लोगों ने क्या कहा
लोगों का कहना है कि अगर सरकार इसे बना देती तो हम लोगों के लिए काफी अच्छा होता. जाहिर है सरकार के नियम के अनुसार शौचालय बनाने के लिए पहले खुद अपनी जेब से पैसा लगाना पड़ता है. उसके बाद सरकारी बाबूओं के रहमो करम से लोगों को पैसा दिया जाता है. लेकिन इस दलित बस्ती के लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि वह अपने पास से रकम देकर शौचालय बना सके.

क्या है बीडीओ का कहना
इस बारे में जब प्रखंड विकास पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम इसकी जांच कराएंगे. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पहले ग्रामीणों को खुद शौचालय बनवाना होगा. उसके बाद ही सरकार उन्हें पैसा देगी, तभी जाकर शौचालय बन पाएगा. अब सवाल ये उठता है कि जब इन गरीबों के पास पैसा है ही नहीं तो कहां से शौचालय का निर्माण कराएंगे.

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