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सरकार की योजनाओं से वंचित है यह गांव, खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर ग्रामीण

रकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है. यहां के बुजुर्गों के दर्द को देखकर ही समझा जा सकता है कि किस तरह से आज भी लोग एक मकान के लिए तड़प रहे हैं.

गांव की दुखी ग्रामिण

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Published : Mar 17, 2019, 11:55 AM IST

रोहतास: जिला मुख्यालय से तीस किलोमीटर दूर स्थित है कैमूर पहाड़. इस पहाड़ पर बसा है भरखोड़वा गांव. यहां के लोग आज भी खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं.

गौरतलब है कि महज कुछ ही दिनों के बाद लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में सरकार कई ऐसी योजनाएं धरातल पर लाई, जिससे गरीबों का भला हो सके. इन योजनाओं में सबसे खास योजना इंदिरा आवास योजना शामिल है. इस योजना के तहत गरीब परिवारों को सरकार पक्के मकान देगी. जिससे वह अपनी जिंदगी एक छत के निचे गुजार सकें. लेकिन हकीकत कुछ और ही है.

गांव में पक्के-कच्चे छत

एक छत के लिए तड़प रहे लोग

इस गांव की हालत देख ये कहा जा सकता है कि सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है. यहां के बुजुर्गों के दर्द को देखकर ही समझा जा सकता है कि किस तरह से आज भी लोग एक मकान के लिए तड़प रहे हैं. आज भी ऐसे गांव के गरीबों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का न तो ज्ञान है और न ही उन्हें योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है.

गांव में नहीं है रहने के लिए छत

बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर गांव

दरअसल, कैमूर पहाड़ी पर बसा यह गांव आज बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर है. क्योंकि सरकार के नुमाइंदों की इन गांव पर नजर नहीं है. सत्ता के सुख में सांसद और विधायक इस गांव के गरीबों का दर्द भूल चुके हैं. उन्हें इस चीज का भी एहसास नहीं है कि जिन गरीबों ने उन्हें कड़ी धूप में खड़े होकर वोट देकर जिताया था. आज वही सांसद उनके परिवारों से मुंह फेरे हुए हैं.

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