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बरसात के मौसम में 'आईलैंड' बन जाता है यह गांव, लोगों की चली जाती है जान - एक भी पुल नहीं

इस गांव में आने के लिए एक भी पुलिया नहीं है. यह गांव चारों तरफ से नहर से घिरा हुआ है. इसके कारण बरसात आते ही लोगों के लिए यह नहर जान का दुश्मन बन जाता है.

नहीं है सड़क

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Published : May 25, 2019, 1:47 PM IST

रोहतास: शिवसागर प्रखंड के खैरा खोंच गांव में आज भी विकास से कोसों दूर है. इस गांव में लोगों को दूसरे गांव से जोड़ने के लिए एक भी पुल नहीं है. लेकिन इसकी परवाह ना तो जनप्रतिनिधियों को है और ना ही अधिकारियों को.

इस गांव में नहीं है पुल

गौरतलब है कि प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर है खैरा खोंच गांव. यहां के लोगों का जीना दुश्वार हो चुका है. क्योंकि इस गांव में आने के लिए एक भी पुलिया नहीं है. यह गांव चारों तरफ से नहर से घिरा हुआ है. इसकी हालत किसी आईलैंड जैसी हो जाती है. बरसात आते ही लोगों के लिए नहर जान का दुश्मन बन जाता है. सबसे अधिक ग्रामीणों को तब परेशानी होती है जब वह अपने मरीजों को गांव से दूसरी जगह इलाज के लिए ले जाते हैं.

इस गांव में नहीं है पुल

रस्सी बांधकर पार करते हैं पुल

इस दौरान उन्हें नदी पार करनी पड़ती है. लिहाजा नदी पर पुल नहीं होने की वजह से लोग रस्सी बांधकर पुल पार करते हैं. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि कई बार नदी पार करते समय लोग तेज बहाव में बह भी गए हैं. कई लोगों की मौत तक हो गई है. वहीं एक बुजुर्ग महिला रोते हुए बताती हैं कि नदी पार करते समय सबसे अधिक परेशानी होती है. क्योंकि नदी पर पुल नहीं रहने की वजह से लोग उसी पानी में डूबकर जाते हैं. बच्चे हो या बूढ़े सभी को इसी नदी को पार करके जाना होता है. लिहाजा लोगों के लिए यह नदी किसी काल से कम नहीं है.

प्रखंड विकास पदाधिकारी अनजान

हालांकि बरसात जाने के बाद यह नदी पूरी तरह से सूख जाती है. इसके बाद इस नदी से लोगों का आना-जाना शुरू होता है. वहीं इस बारे में जब बीडीओ से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी मुझे अब तक नहीं है. यकीनन इटीवी भारत द्वारा इसकी जानकारी उन्हें मिली है. जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएगा उस पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी.

ग्रामीणों में काफी गुस्सा

बहरहाल लोगों को आज भी उम्मीद है कि चुनाव के इस मौसम में नेता आएंगे और उन्हें पुल की सौगात दे जाएंगे. लेकिन अफसोस चुनाव के 5 साल बीत जाने के बाद भी यहां के सांसद ने इस गांव में कदम नहीं रखा है. इस कारण ग्रामीणों में उनके खिलाफ काफी गुस्सा है.

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