रोहतास: रोहतास को धान का कटोरा कहा जाता है. लेकिन अब यहां के किसान ट्रेडिशनल खेती को छोड़कर मॉडर्न खेती की ओर अपना रूख कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही कारनामा सासाराम प्रखंड के जमुहार गांव के रहने वाले किसान मुकेश कुमार ने कर दिखाया है. मुकेश ने पहली बार रोहतास की धरती पर विदेशी खरबूज की खेती कर अपनी एक अलग पहचान बना ली है. लेकिन लॉकडाउन के कारण खरबूजों की बिक्री नहीं हो सकी है. जिससे किसान परेशान है.
मुकेश कुमार ने अपने खेतों में ताइवान की सुप्रसिद्ध पीली खरबूज की खेती की है. किसान मुकेश कुमार ने पहली बार रोहतास के जमीन पर ताइवान में बिकने वाले पिले खरबूज की खेती कर लोगों के लिए मिसाल कायम कर दिया है.
ताइवान से मंगाई गई बीज
मुकेश कुमार ने बताया कि खरबूज की खेती के लिए उन्होंने ताइवान जैसे देशों से बीज मंगाया. जिसके बाद वह अपने 2 एकड़ की भूमि पर खेती की. लेकिन उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण खेतों में ग्राहक नहीं पहुंच पाए. किसान मुकेश ने कहा कि उन्होंने दिनभर मेहनत कर ताइवानी खरूज की शपल को बिहार की धरती पर उगाया. लेकिन लॉकडाउन ने उनका व्यापार मंदा कर दिया. जिससे पूंजी निकलना मुश्किल हो गया है.
महामारी ने बिगाड़ी हालत
किसान मुकेश ने कहा कि अगर कोरोना वायरस जैसे भयंकर महामारी के कारण देश में लॉकडाउन नहीं होता, तो उन्हें इस खेती से तकरीबन 5 गुना मुनाफा होता. उन्होंने आगे बताया कि तकरीबन डेढ़ लाख रुपये खर्च कर दो एकड़ की भूमि पर खरबूज की खेती की. लेकिन अब उन्हें मायूसी हाथ लग रही है. फसल पक कर तैयार हैं और लेने वाला कोई नहीं है.
'करते रहेंगे खरबूज की खेती'
बहरहाल मुकेश कुमार ने बताया कि पीले खरबूज की खेती पहली बार रोहतास में की जा रही है. लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी. वह कहते हैं कि आगे भी इस ताइवान के सुप्रसिद्ध पीले खरबूज की खेती करेंगे.