पटना:बिहार की राजधानी पटना के गायघाट स्थित बालिका गृह में कथित तौर पर युवतियों को दी जाने वाली प्रताड़ना और उनके साथ किए जाने वाले अभद्र व्यवहार की काली कहानी में अब एक और नया चैप्टर जुड़ (Rohtas girl Died in Gaighat Shelter Home) गया है. शेल्टर होम से निकली एक युवती ने साहस कर अंदर की हकीकत क्या बताई, कई पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीदें जग गई हैं. शेल्टर होम की अधीक्षिका वंदना गुप्ता (Gaighat Shelter Home Superintendent Vandana Gupta) के कथित प्रताड़ना का शिकार बनकर बालिका गृह में ही दम तोड़ चुकी रोहतास की बेटी के परिजन भी अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
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दरअसल, ये कहानी आज से करीब 4 साल पहले साल 2018में शुरू होती है. बिहार के रोहतास जिले के कोचस थाना क्षेत्र में एक गांव है. यहां प्रेम प्रसंग में पड़ी 16 साल की एक लड़की ने भागकर अपने प्रेमी के साथ शादी कर ली. फिर उसके पिता नाबालिक लड़की का अपहरण कर शादी का आरोप लगाकर थाने में केस दर्ज कर दिया. प्रेमी जोड़े पर दवाब बढ़ा तो 17 जनवरी, 2019 को प्रेमी युगल ने सासाराम कोर्ट में समर्पण कर दिया.
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उस समय लड़की की उम्र 16-17 साल की थी, यानी नाबालिग. लड़की उस समय गर्भवती भी हो चुकी थी. लिहाजा, उसे पटना के गायघाट स्थित राजकीय उत्तर रक्षा गृह में भेज दिया गया. शेल्टर होम जाने के 6 महीने बाद युवती को एक बेटा हुआ. बालिका गृह में बच्चे के साथ उसके दिन कटने लगे.
तारीख 15 अप्रैल, 2021, युवती की उम्र 18 साल हो चुकी थी. युवती की मां ने सासाराम कोर्ट में आवेदन देकर अपनी पुत्री की कस्टडी की गुहार लगाई. आवेदन पर मां की दलील सुनते हुए कोर्ट ने भी बालिका गृह की अधीक्षिका वंदना गुप्ता को युवती को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया. लेकिन कोर्ट के आदेश का अवहलेना करते हुए वंदना गुप्ता ने युवती को पेश नहीं किया.
तारीख 17 सितंबर, 2021,सासाराम कोर्ट ने रोहतास के एसपी के माध्यम से यह आदेश जारी किया कि हर हाल में पीड़िता को कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए. तारीख मुकर्रर हुई 23 अक्टूबर, 2021. लेकिन पेशी के 21 दिन पहले यानी 2 अक्टूबर को पीड़ित युवती की बालिका गृह में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की खबर आई. बालिका गृह की अधीक्षिका पर परिजनों का शक और गहरा हो चला था, क्योंकि मृतका के पति ने बताया कि आधिकारिक तौर पर नहीं, बल्कि किसी दूसरे माध्यम से उन्हें मौत की खबर मिली और चार दिनों के बाद शव को सौंपा गया.
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मामला नाबालिग लड़की से जुड़ा था, लिहाजा केस पॉस्को कोर्ट में चला गया. पीड़िता पक्ष के अधिवक्ता बताते हैं कि राजकीय उत्तर रक्षा बालिका गृह गायघाट पटना की सुपरिटेंडेंट वंदना गुप्ता ने लगातार न्यायालय के आदेश की अवहेलना की. कई बार कोर्ट के बुलाए जाने के बावजूद युवती को पेश नहीं किया गया. संभव है कि कोर्ट का सामना करने से बचने के लिए वंदना गुप्ता ने ऐसा किया. मृतका के पति का आरोप है कि उनकी पत्नी के साथ बालिका गृह में अमानवीय व्यवहार किया गया.
मृतका के पति बताते हैं कि बालिका गृह में उनकी पत्नी बीमार थी. इलाज नहीं किया जा रहा था. चूंकि, शेल्टर होम में उनका एक बच्चा भी जन्म लिया था, लिहाजा उसकी कस्टडी के लिए पैसे मांगे गए. हर छोटी-बड़ी बात के लिए पैसे की मांग की जाती थी.
ढाई साल तक बालिका गृह में कैद पत्नी और उसकी गोद में पल रहे मासूम से उसके पिता को मिलने नहीं दिया गया. महिला के पति ने बताया कि कभी-कभार चोरी-छुपे उससे बातें हो जाती थी. लेकिन हाल ही में शेल्टर होम से निकली युवती के द्वारा लगाए गए आरोपों के मुताबिक वंदना गुप्ता के अप्रत्याशित निर्देशों का पालन नहीं करने का दंड शायद रोहतास की बेटी को भी मिला.
आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह जांच का विषय है. लेकिन, बिहार के शेल्टर होम्स के अंदर से सिलसिलेवार निकलकर सामने आ रही कहानी सूबे के शासन-प्रशासन पर सवाल उठा रहा है. चाहे वो मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड हो, हाल ही में गायघाट शेल्टर से निकली युवती के आरोपों की बात हो या फिर रोहतास की बेटी की इसी शेल्टर होम में प्रताड़ना से कथित मौत. आरोप कई सवाल छोड़ रहे हैं.
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