रोहतासः यूं तो रोहतास जिला को धान का कटोरा कहा जाता है और यहां के किसान धान की पारंपरिक खेती पर ही निर्भर हैं. लेकिन इससे अलग हटकर जिले के एक किसान आधुनिक तकनीक अपनाकर मछली पालन, बटेर पालन और कड़कनाथ मुर्गा का पालन कर लाखों की आमदनी कर रहें है. प्रेमचंद नाम के ये किसान सिर्फ राज्य ही नहीं, राज्य से बाहर के किसानों के लिए मिसाल बने हुए हैं. इतना ही नहीं इन्हें किसानों को सम्मानित करने वाली संस्थाओं ने पुरस्कृत भी किया है.
पिता ने खुदवाया 15 कट्ठे का तालाब
दरअसल हम बात कर रहे हैं जिले के तिलौथू इलाके के मदारीपुर गांव के रहने वाले विश्वनाथ सिंह के बेटे प्रेमचंद की. प्रेमचंद के पिता 1985 में सेना से रिटायर्ड हुए तो पैतृक जमीन में से 15 कट्ठा का तालाब खुदवाया. तालाब का पानी न सूखे इसके लिए उन्होंने तालाब के निचले सतह पर ईट सोलिंग कर उसे सीमेंट से पक्का करा दिया. तालाब के चारों किनारों में पक्की दीवार जुड़वा दी. यहीं से शुरू हुआ मछ्ली पालन का कारोबार, लेकिन लगातार कई वर्षों तक मछली पालन में नाकाम होने पर उन्होंने मछली पालने का इरादा त्याग दिया.
यू-ट्यूब की सहायता से फैलाया कारोबार
इसके बाद प्रेमचंद 2009 में जिला मत्स्य पालन केंद्र से जुड़े. वहां से विभाग ने उन्हें 10 दिवसीय प्रशिक्षण पर कोलकाता भेजा. जहां से लौटकर उन्होंने छोटे-बड़े कुल 5 तालाब खुदवाए. जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. कुछ नया करने की मन में ठाणे किसान प्रेमचंद ने सोशल प्लेटफॉर्म यूट्यूब की सहायता से मछली पालन, बटेर पालन, बत्तख पालन के साथ कड़कनाथ मुर्गा का भी पालन शुरू कर दिया. खासकर कड़कनाथ नाथ मुर्गे ने प्रेमचन्द की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर दी है. जिसे पाने के लिए कई राज्यों के किसान यहां बिन बुलाए ही खींचे चले आते हैं.