रोहतासःबिहार के रोहतास में डालमियानगरक्वार्टर को खाली का समय (Dalmiyanagar Quarter in Rohtas) आ गया है. 30 अगस्त तक डेडलाइन रखा गया है. अगर लोग स्वतः खाली नहीं करते हैं तो प्रशासन जबरन वहां से हटाएगी. निर्देश के बाद से क्वार्टर में रह रहे लोगों की नींद हराम हो गई है. चिंता के मारे कई लोगों के घर में चूल्हा नहीं जल रहा है कि अब वे कहां जाएंगे? सभी लोग यहां 50 वर्षों से अधिक समय से रह रहे हैं. मरीज और वृद्ध ज्यादा परेशान हैं.
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2 अगस्त को प्रशासन का फरमानः पटना हाईकोर्ट के आदेश पर 2 अगस्त को प्रशासन ने फरमान जारी किया था कि क्वार्टर में रह रहे लोग घर को खाली कर दें. नहीं तो प्रशासन जबरन घर खाली कराने का काम करेगी. 1471 घरों में रह रहे लोगों के सामने सिर ढकने की समस्या आ गई है. सभी इसी चिंता में हैं कि आखिर वे जाएंगे कहां? इधर, सरकार की ओर से भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है.
बस हादसा में खो दिए पैरः डालमियानगर क्वार्टर नंबर 346 में रहने वाले अरुण कुमार पांडे का दर्द सुनकर हर कोई भावुक हो जाएगा. उन्होंने बताया वे 40 साल से इस क्वार्टर में रह रहे हैं. उनके ससुर सीमेंट फैक्ट्री में काम करते थे. जब से कंपनी बंद हुई, सभी लोग यही रहकर मजदूरी करने लगे. बस हादसा में अरुण का दोनों पैर काम के लिए नहीं बचा, जिस कारण वे हमेशा बेड या ह्वील चेयर पर रहते हैं.
"मेरे फादर इन लॉ सीमेंट फैक्ट्री में काम करते थे. तकरीबन 40 साल से इस क्वार्टर में रह रहे हैं. मेरे दोनों पैर काम नहीं करते हैं. कहीं आ जा नहीं सकते. बस से दुर्घटना में दोनों पर खो गए. दो बच्चिया हैं, जिसमें एक की शादी हो गई है. घर खाली कर हम कहां जाएंगे. हम काम नहीं करते हैं. भाई लोग मदद करते हैं तब घर चलता है. दूसरी बेटी की शादी करनी है." -अरुण कुमार पांडे, पीड़ित
बेटी की शादी कैसे होगी?अरुण बताते हैं कि उनके सामने विकट समस्या आ खड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि अब जाए तो जाए कहां. बेटी की शादी कैसे होगी. सिर पर छत ही नहीं रहेगा तो कैसे जिएंगे. कहते-कहते उनकी आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं. आसपास के रहने वाले सभी लोगों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. जैसे-जैसे डेडलाइन की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे डालमियानगर के रहने वाले लोगों के चेहरे पर पीड़ा दर्द और टिस साफ झलक रही है.