रोहतास:सूबे में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारी योजनाओं का धरातल पर नहीं पहुंचने की गाहे-बगाहे तस्वीरें सामने आती रहती हैं. ऐसे में रोहतास के जिला मुख्यालय सासाराम स्थित सदर अस्पताल में भी इन दिनों ठेले पर स्वास्थ्य सिस्टम सा हाल देखने को मिल रहा है. जानकारी के मुताबिक एक व्यक्ति यहां प्रतिदिन अपनी बीमार पत्नी को इलाज के लिए खुद ठेला खींचकर लाता और वापस घर ले जाता है.
ठेले पर मरीज के साथ परिजन दरअसल, सासाराम के करपुरवा गांव निवासी जगनारायण खुद ठेला खींचकर प्रतिदिन अपनी बीमार पत्नी मनवती देवी को पिछले कई दिनों से इलाज के लिए सदर अस्पताल लाते हैं. वहीं यह नजारा पूरा अस्पताल प्रशासन मूक-बाधिर होकर देखता रहता है. जबकि ऐसे मरीजों के लिए सदर अस्पताल में एंबुलेंस से लेकर तमाम तरह की सुविधाएं मौजूद हैं.
इलाज के लिए रोजाना ठेले पर आती है मरीज
वहीं इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि इसे सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही कहना भी ठीक नहीं होगा. एक प्रमुख कारण सरकारी योजनाओं और व्यवस्थाओं का लोगों को सही जानकारी न होना भी है. जिस कारण जरूरतमंद योजनाओं और सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं. पूछने पर जगनारायण कहते हैं कि उन्हें एंबुलेंस का नंबर ही पता नहीं है. उनकी पत्नी को कई तरह की बीमारियां हैं. इसलिए वो प्रतिदिन अपनी पत्नी को ठेले पर लेकर सदर अस्पताल पहुंचते हैं.
मरीज को ठेले पर अस्पताल ले जाते परिजन 'सामान्य बीमारी से पीड़ित है महिला'
सदर अस्पताल के कुव्यवस्था पर सिविल सर्जन ने मरीज के ठेले से आवागमन की जानकारी से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि इस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है. हालांकि उन्होंने बताया कि मेरे संज्ञान में सिर्फ इतना है कि महिला सामान्य रोग से पीड़ित है और यूरोलॉजी विभाग में इलाजरत है. कुछ ही समय में वो पूर्णत: ठीक हो जाएगी.
रोहतास में सब कुछ अच्छा नहीं
गौरतलब है कि यह घटना एक फोन कॉल पर मरीज को एंबुलेंस सेवा उपलब्ध होने की सरकारी दावे की पोल खोलती नजर आती है. अफसरशाही, कार्मिकों का वह समूह माना जाता है, जिस पर प्रशासन का केंद्र आधारित है. प्रत्येक राष्ट्र का शासन व प्रशासन इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमते हुए दिखाई देता है. सरकार की सभी योजनाओं का सफल संचालन भी इनके ही हाथों में होता है. इसकी निगरानी के लिए भी लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का पद निर्धारित किया गया है. इसलिए कि वह भी संपूर्ण व्यवस्था पर नजर रख सकें. इसके बावजूद रोहतास में सब कुछ अच्छा नहीं दिख रहा है.