रोहतास:जिले के संतोष कुमार सिंह ने प्रदेश के किसानों के लिए मिसाल कायम की है. उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़ मॉडर्न खेती का फैसला किया. इससे वह आज लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने धान, गेहूं के बजाए मशरूम की खेती करनी शुरू की. लिहाजा, आज उन्हें कम लागत में अधिक फायदा मिल रहा है.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट संतोष कुमार सिंह रोहतास के करगहर प्रखंड के तेंदुनि के रहने वाले हैं. मशरूम की खेती करने से पहले संतोष कुमार फोटोस्टेट की एक मामूली सी दुकान चलाया करते थे. जब उन्हें 'ऑयस्टर' मशरूम के पता चला तो उन्होंने इसकी खेती शुरू की. देखते ही देखते संतोष ने अब जिले में अपनी एक अलग पहचान बना ली है.
ऑयस्टर मशरूम (कॉन्सेप्ट इमेज) बाजार में मांग ज्यादा
'ऑयस्टर' मशरूम की खेती से संतोष को काफी मुनाफा हो रहा है. जिस कारण आस-पड़ोस के गांव के लोग भी उनसे इसे उपजाने की विधि सीखने पहुंचते हैं. संतोष ने बताया कि इसकी खेती बिल्कुल आसान है. मशरूम तैयार होने के बाद इसे बाजार में चौगुने फायदे पर बेचा जाता है. मशरूम की मांग इतनी है कि लोग घर से ही आकर इसे ले जाते हैं.
ऑयस्टर मशरूम (कॉन्सेप्ट इमेज) घर के अंदर उपजता है मशरूम
बता दें कि इस मशरूम को बिहार के अलावा दूसरे राज्यों के लोग भी ले जाते हैं. इतना ही नहीं ये कम समय में अधिक फसल भी पैदा करता है. घर के अंदर ही इस मशरूम की खेती की जाती है. ऐसे में जिन लोगों के पास जीविका का साधन नहीं है, वह घर बैठे पैसे कमा सकते हैं. गौरतलब है कि रोहतास को 'धान का कटोरा कहा' जाता है. लेकिन, धान के कटोरे में अब लोग ट्रेडिशनल खेती छोड़ मॉडर्न खेती कर लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं.
शाकाहारियों के लिए है फायदेमंद
मशरूम उत्पादक और विक्रेता संतोष कहते हैं कि वह शाकाहारी हैं. उन्होंने अपनी और अपने परिवार की सेहत के लिए मशरूम की खेती शुरू की. लेकिन, धीरे-धीरे वह इसे बेचने लगे. उन्होंने बताया कि मशरूम सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. खासकर शाकाहारी लोगों को तो मशरूम जरूर खाना चाहिए. इसमें वसा की मात्रा बिल्कुल कम होती है. साथ ही इसमें भरपूर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है.
कमरे में उगा रहे ऑयस्टर मशरूम