रोहतास: बिहार में महादलित परिवारों के लिए चलाई जा रही है योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती है. यह यूं ही नहीं कहा जा रहा है. दरअसल रोहतास में एक महादलित परिवार की सात बच्चियों के पास न तो रहने के लिए मकान है न ही खाने के लिए अनाज. ईटीवी की टीम जब इस परिवार से बात करने पहुंची तो अपना दर्द बयां करते करते बच्चियों की दादी की आँखों से आंसू छलक पड़े.
ना रहने को घर है ना खाने को अनाज
डेहरी प्रखंड स्थित चिलबिला गांव के भुईयां टोला में रह रही 7 बच्चियों के पास न तो रहने को मकान है और नहीं खाने को अनाज. सबसे बड़ी बात है कि इन बच्चियों के सर से मां-बाप का भी साया उठ चुका है. इनको पालने वाले दादा-दादी भी परेशान हैं कि इन बच्चियों का कैसे पालन पोषण होगा? कैसे ये पढेंगी? कैसे इनकी शादी होगी? चिलबिला गांव के ही नहर किनारे टूटी फूटी झोपड़ी में रह रहा महादलित परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.
मां-बाप का उठ चुका है साया
बच्चियों के दादा प्रसाद भुईयां बताते हैं कि उनके बेटे मनोज राम की मौत 23 जुलाई 2019 को और बहू प्रमिला की मौत 29 अगस्त 2019 को बीमारी के कारण हो गई थी. उनकी 7 बेटियां हैं. बड़ी बेटी रूबी कुमारी 16 वर्ष, रिंकी 14 वर्ष, मालती 10 वर्ष , जुड़वा बहन पूनम व चिंता 6 वर्ष ,खुशी कुमारी 5 वर्ष तथा सोनी कुमारी 4 वर्ष की है. इसमें दो बच्चियों को आंगनबाड़ी से तथा एक को विद्यालय में खाने को अनाज मिलता है.