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Rohtas News: भवानी भलुनी धाम के वन क्षेत्र को संरक्षित करेगी सरकार, पर्यटन के रूप में होगा विकसित - मंदिर के वन क्षेत्र को संरक्षित करेगी सरकार

जिले में स्थित प्राचीन शक्तिपीठ याक्षिणी भवानी भलुनी धाम मंदिर के वन क्षेत्र को संरक्षित करने का बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार की इस पहल से इलाके के लोगों में खुशी है.

भलुनी धाम के वन क्षेत्र को सरंक्षित करेगी सरकार
भलुनी धाम के वन क्षेत्र को सरंक्षित करेगी सरकार

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Published : Jun 17, 2021, 1:36 PM IST

रोहतास : बिहार के रोहतास (Rohtas) जिले के दिनारा प्रखंड स्थित प्रसिद्धप्राचीन शक्तिपीठ यक्षिणी भवानी भलुनी धाम मंदिर (Bhaluni Dham temple) के आसपास के इलाकों के वन क्षेत्र को बिहार सरकार संरक्षित करेगी. साथ ही बगीचे और वनों में रह रहे पशुओं को भी संरक्षण दिया जाएगा. इस अहम फैसले से जिले के लोगों में खुशी देखी जा रही है.

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पर्यटन के रूप में होगा विकसित
दिनारा स्थित प्रसिद्ध भलुनी भवानी धाम के आसपास जंगलों और बगीचे में रह पशुओं को संरक्षण दिया जाएगा. वन विभाग ने भलुनी भवानी के आसपास के 30 से 70 एकड़ वन क्षेत्र को अधिग्रहण करने की योजना बनाई है. इलाके के लोग बताते हैं कि यह क्षेत्र पर्यटन को लेकर संभावनाओं से भरा हुआ है. ऐसे में अगर इस इलाके को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता है तो इलाके का संग्रह विकास होगा.

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इलाके में काफी संख्या में हैं लंगूर
बता दें कि इस मंदिर के आसपास के बगीचे और जंगली क्षेत्र में बहुत से वन्य प्राणी रहते हैं. लगभग दो हज़ार से अधिक बंदर तो मंदिर के आसपास दिखाई देते हैं. वही काले हिरण, सांभर, चीतल के अलावे कई वन्य जीव हैं. जो आम दिनों में विचरते देखे जाते हैं. वही चिड़िया, पक्षियों के कई नस्ल भी यहां मौजूद हैं.

मंदिर के वन क्षेत्र को सरंक्षित करेगी सरकार

प्राचीन मंदिर का इतिहास
प्रखंड मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर पूरब भलुनी स्थित यक्षिणी भवानी धाम अति प्राचीन और प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. श्रीमद देवी भागवत, मार्कण्डेय पुराण के अलावे वाल्मीकि रामायण में भी यक्षिणी भवानी का वर्णन मिलता है. मान्यता के अनुसार देवासुर संग्राम के बाद अहंकार से भरे इंद्र को यक्षिणी देवी ने यहीं सत्य का पाठ पढ़ाया था. इंद्र ने देवी दर्शन के पश्चात उनकी स्थापना की थी.

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मां दुर्गा का ही एक नाम है यक्षिणी
पुराणों व अन्य धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी अति प्राचीन हैं. यक्षिणी मां दुर्गा का ही एक नाम है. मंदिर में देवी की प्रतिमा के अलावे भगवान शंकर व कुबेर की प्राचीन प्रतिमा भी स्थापित है. मंदिर का पुनर्निर्माण आधुनिक काल में हुआ है. हालांकि देवी की प्रतिमा सहित मंदिर में स्थापित अन्य प्रतिमाएं पूर्व मध्यकालीन हैं. मंदिर के बाहर एक अति प्राचीन व विशाल तालाब है. आसपास में वन के अवशेष आज भी विद्यमान हैं.

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