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सरकारी स्कूल की दयनीय हालत से परेशान बच्चे, युवा समाजसेवी ने बिजली पहुंचाने का उठाया बीड़ा - सरकारी स्कूल के छात्र

बिहार में स्कूलों की हालत दयनीय है. सासाराम के पटनवां खुर्द प्राथमिक विद्यालय में बच्चे बिना बिजली के उमस भरी गर्मी में पढ़ने से परेशान हैं. अब एक समाजसेवी ने स्कूल तक बिजली पहुंचाने का जिम्मा उठाया है.

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Published : Sep 4, 2019, 11:45 AM IST

रोहतास: एक तरफ सरकार हाई स्कूल में स्मार्ट क्लासेस बना रही है. स्कूलों को हाईटेक बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं ला रही है. वहीं, दूसरी ओर कई जिलों से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जहां बिजली कनेक्शन तक नहीं है. बच्चे उमस भरी गर्मी में बिना पंखा के पढ़ने को मजबूर हैं.

आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि इस भीषण गर्मी में अगर कुछ देर के लिए बिजली चली जाए तो लोग व्याकुल हो जाते हैं. ऐसे में किसी तपिश भरे कमरे में बैठकर बच्चों का पढ़ाई करना बेदह कष्टकारी है. सासाराम के इंद्रपुरी इलाके के प्राथमिक विद्यालय पटनवां खुर्द विद्यालय से ऐसी ही तस्वीर सामने आई है, जहां बच्चे बिना पंखा के गुजारा कर रहे हैं.

इन बच्चों की समस्या को देखते हुए कुछ उत्साही युवा सामने आए हैं. इन्होंने अपने प्रयास से विद्यालय में बिजली कनेक्शन और सीलिंग फैन लगाने की योजना बनाई है. सामाजिक कार्यकर्ता समीर कुमार के नेतृत्व में इस मुहिम का आगाज किया जा रहा है. वहीं, इलाके के ग्रामीण भी इनका सहयोग कर रहे हैं.

उमस भरी गर्मी में पढ़ते बच्चे

'कबाड़खाने में तब्दील हुआ स्कूल'
कई सुविधआओं की घोर कमी के बीच एक और दयनीय तस्वीर सामने आई. इस विद्यालय के कमरे में गोइठा और कबाड़ के सामान स्टोर किए गए हैं. जर्जर स्थिति में पहुंचा स्कूल कई जगहों से चूता है. बरसात में दीवारों से पानी रिसता है. बच्चे इन समस्याओं को झेलते हुए पढ़ने स्कूल आते हैं.

कई असुविधाओं से जूझ रहा विद्यालय

क्या कहते हैं हेडमास्टर?
विद्यालय के हेडमास्टर अनिल कुमार कहते हैं कि बिजली कनेक्शन के लिए प्रस्ताव तो गया था, लेकिन अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया है. इस कारण भीषण गर्मी में भी बच्चों को बिना पंखे के पढ़ाई करनी पड़ रही है. वहीं, कमरे को गोदाम बनाने के सवाल पर कहा कि बरसात में पानी से बचाने के लिए गोइठा अंदर रखा गया है ताकि बच्चों का खाना बन सके.

45 बच्चों के लिए 2 शिक्षक
बहरहाल इस प्राथमिक विद्यालय में मात्र 45 बच्चे हैं, जिसके लिए 2 शिक्षक भेजे गए हैं. वहीं, स्थानीय युवाओं के आश्वासन के बाद बच्चे अब आशा लगाए बैठे हैं कि उन्हें भी पंखे की हवा में पढ़ाई करने का मौका मिलेगा.

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