रोहतासः आज के जमाने में भी कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि लड़कियां बोझ होती हैं. लेकिन हम आपको कुछ ऐसी ही बेटियों से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं जो खुद हुनरमंद बनकर परिवार का बोझ उठा रही हैं. ये लड़कियां ग्रामीण स्व-रोजगार के तहत स्वावलंबी बनकर ऐसी मानसिकता रखने वालों को चुनौती दे रहीं हैं.
अब डरी सहमी नहीं हैं लड़कियां
दरअसल, ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत महिलाएं कई रोजगारों का प्रशिक्षण लेकर स्वावलंबी बन रही हैं. बैंक इन्हें लोन भी दे रहे हैं. ताकि यह अपना स्टार्टअप व्यवसाय कर सकें. नक्सल प्रभावित इलाका रोहतास जिले के गांव की ये लड़कियां सामान्य पढ़ाई कर घर में बैठी थीं. लेकिन ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण योजना से अब ये हुनरमंद बन रहीं हैं. इन इलाकों की लड़कियां अब डरी सहमी नहीं रहती हैं, बल्कि सशक्त बनकर अपने परिवार को भी चला रही हैं.
ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद लड़कियां प्रशिक्षण लेकर बन रहीं स्वावलंबी
ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण में टेडी बियर खिलौने समेत ब्यूटीशियन और सिलाई कढ़ाई अगरबत्ती वगैरह बनाने की भी ट्रेनिंग दी जाती है. यह लड़कियां कहती हैं कि कल तक वह अपने घर की चौखट के अंदर रहती थीं, क्योंकि सामाजिक परिवेश में ऐसा नहीं था कि घर से बाहर निकल कर प्रशिक्षण लेकर रोजगार किया जाए. लेकिन अब वह प्रशिक्षण लेकर अपने घर से ही रोजगार कर रही हैं. लड़कियों का कहना है कि बेकार के बैठने से अच्छा है कि कुछ सीखकर अपने पैरों पर खड़ा हुआ जाए.
प्रशिक्षण ले रही लड़कियां क्या है निदेशक का कहना
प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं संस्थान के निदेशक अमित कुमार कहते हैं कि आज सभी बैंक अपने अधीन युवाओं को कुटीर तथा लघु उद्योग की ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं. ट्रेनिंग देकर उन्हें स्वरोजगार की ओर जाने में मदद भी कर रहे हैं. बैंकों से एकमुश्त ऋण भी मिल रहा है. जिसका ब्याज दर काफी कम है. जागरूकता के अभाव में बहुत से लोग अब इसका फायदा नहीं उठा रहे हैं.
प्रशिक्षण के दौरान मौजूद लड़कियां सैकड़ों लड़कियां बनी स्वावलंबी
रोहतास में लगभग पांच हजार युवक-युवतियों को रोहतास जिले में ट्रेंड कर दिया गया है. जिनमें लगभग 70 पर्सेंट लड़कियां आज अपना रोजगार चला रही है. जहां आज पूरे देश में रोजगार एक बड़ी समस्या है. ऐसे में ट्रेनिंग लेकर यह लड़कियां अपने व्यवसाय शुरू कर रही हैं. हुनरमंद तो बन ही रही हैं साथ ही उनमें आत्मविश्वास भी पैदा हो रहा है. जरूरत है ऐसी योजनाओं के प्रचार-प्रसार की ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका फायदा उठा सकें.