रोहतास: जिले के 19 प्रखंडों के 229 पंचायतों में इन दिनों लगातार किसान चौपाल का (Farmer Chaupal In Rohtas) आयोजन किया जा रहा है. चौपाल के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वह अपने खेतों में उर्वरक का कम से कम उपयोग करें, साथ ही फसल की कटाई के बाद खेतों में पराली को ना जलाएं, इससे खेत की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है.
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हर पंचायत में चौपाल का आयोजन कर कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं से किसानों को अवगत कराया जाता है. जिला कृषि पदाधिकारी संजय नाथ तिवारी ने बताया कि जिले के तमाम पंचायतों में लगातार किसान चौपाल का आयोजन किया जा रहा है. ताकि सरकार की योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाया जाए और किसानों को भी जानकारी के प्रति जागरूकता हो.।ताकि वे उन्नत खेती कर अधिक से अधिक पैदावार ले सके.
'किसानों से अपील है कि वे खरीफ फसलों, खासतौर पर धान के बचे हुए अवशेषों यानी पराली को न जलाएं. क्योंकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज्यादा होता है. इससे स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों की संभावना वृद्धि होती है. इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणें फसलों तक कम पहुचती हैं, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है. ऐसा होने से उनमें भोजन बनाने में कमी आती है. इससे फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है.':- संजय नाथ तिवारी, जिला कृषि पदाधिकारी सासाराम कृषि पदाधिकारी संजय नाथ तिवारी ने बताया कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें. इससे मृदा की उर्वरता बढ़ती है. साथ ही यह पलवार का भी काम करती है. जिससे मृदा से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है. नमी मृदा में संरक्षित रहती है. धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा बायो डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग किया जा सकता है. बता दें कि रोहतास जिला पूरी तरह से कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर चलता है तथा यह एक कृषि प्रधान जिला है.