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रोहतास में सम्राट अशोक का शिलालेख हुआ कब्जे से मुक्त, ETV Bharat की खबर का बड़ा असर

2300 साल पहले सम्राट अशोक ने रोहतास के चंदन पहाड़ी पर एक लघु शिलालेख (Inscription Of Emperor Ashoka) स्थापित किया जिसका उद्देश्य 'धम्म प्रचार' के 256 दिन (बौद्ध धर्म) पूरे होने पर एक संदेश था लेकिन 2002 तक आते आते अब इसका रंग बदल चुका है. वहीं शिलालेख पर कजरिया बाबा के मजार बनये जाने पर ईटीवी भारत के खबर पर Big Impact हुआ है. लघु शिलालेख एक बार फिर से कब्जा मुक्त हो गया है. पढ़ें पूरी खबर..

सम्राट अशोक का शिलालेख हुआ कब्जे से मुक्त
सम्राट अशोक का शिलालेख हुआ कब्जे से मुक्त

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Published : Nov 29, 2022, 7:42 PM IST

Updated : Nov 29, 2022, 8:27 PM IST

रोहतास:बिहार के रोहतास की चंदन पहाड़ी ( Inscription Of Emperor Ashoka On Chandan Hill) में स्थित महान मौर्य सम्राट अशोक के ऐतिहासिक शिलालेख पर मजार बनाये जाने पर ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर हुआ है. इस खबर चलाए जाने के बाद आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) की टीम मंगलवार को सासाराम पहुंची और बरसों से ताले में बंद सम्राट अशोक के लघु शिलालेख का ताला खुलवाया गया. साथ ही उसकी एक चाबी लेकर टीम के अधिकारी साथ चली गई.



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देखें वीडियो.

लघु शिलालेख को कुछ लोगों ने किया था अतिक्रमणःदरअसल पिछले महीने जिला मुख्यालय सासाराम के चंदन पहाड़ी पर सम्राट अशोक के लघु शिलालेख को कुछ लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिए जाने से संबंधित खबर ईटीवी भारत पर प्रमुखता से चलाई गई थी. बता दें कि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के सिलसिले में सारनाथ जाने के क्रम में सासाराम में वक्त बिताया था. उस दौरान उन्होंने एक शिलालेख भी लिखवायी थी, जिसे कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर लिया था. ईटीवी पर प्रमुखता से इस पर खबर चलाई गई तो पूरे बिहार में राजनीतिक क्षेत्र में हलचल मच गई थी.


विरोध में सम्राट चौधरी ने दिया था धरनाः बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी खुद सासाराम में आकर इसको लेकर धरना दिए थे. तब यह मामला काफी सुर्खियों में आया था. अब जाकर इसका ताला खुला है तथा आर्किलॉजिकल सर्वे की टीम ने खुद अपने पास एक चाभी रखी है तथा एक चाबी स्थानीय मजार कमेटी को सौंपी गई है.

कई पुस्तकों में है इस शिलालेख का जिक्र: दरअसल जिला मुख्यालय सासाराम स्थित चंदन पहाड़ी पर स्थित ईसा पूर्व 300 साल पुराना सम्राट अशोक का लघु शिलालेख अधिक्रमित है. उसे कजरिया बाबा का मजार घोषित किया जा रहा है. कुछ लोगों ने इस शिलालेख के ऊपर हरे रंग की चादर चढ़ा दी है और उसके आगे गेट लगाकर ताला बंद कर दिया है. स्थानीय बुद्धिजीवियों ने भी अपने अपने विचार दिए हैं. उनका कहना है कि 1875 में ही अलेक्ज़ैंडर कन्निघम जब भारत यात्रा पर आए थे, उस समय उसने इस शिलालेख को देखा था. उन्होंने अपनी पुस्तक में भी इसे वर्णित किया था. विश्व इतिहास कि यह एक धरोहर है और दुनिया के कई शोधकर्ता एवं इतिहासकारों ने अपने अपने किताबों में इसे स्थान दिया है. साथ ही इस शिलालेख में अंकित शब्दों को पढ़ा भी गया है. जिसमें धार्मिक एवं सामाजिक सद्भाव की बात लिखी गई है.

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Last Updated : Nov 29, 2022, 8:27 PM IST

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