सासाराम: सम्राट अशोक की जयंती पर 2 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आगमन सासाराम में होने जा रहा है. इस दौरान वह एक जनसभा को संबोधित करेंगे. ऐसे में यहां के लोगों को सासाराम में पुराने शिलालेख के संरक्षण को लेकर एक बार फिर आस जग गई है. बता दें कि सासाराम के चंदन पहाड़ी पर स्थित सम्राट अशोक के लघु शिलालेख को कजरिया बाबा का मजार (Tomb on inscription of Emperor Ashoka) बता कर उसमें ताला लगा दिया गया था. कुछ लोगों ने इस शिलालेख के ऊपर हरे रंग की चादर चढ़ा दी थी.
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क्या कहते हैं इतिहासकार : जानकार बताते हैं कि कलिंग युद्ध के बाद जब सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया और देश और दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार करने लगे, उसी दौरान सारनाथ की ओर जाने के क्रम में सम्राट अशोक इसी पहाड़ी के पास रुके थे. इतिहासकार श्यामसुंदर तिवारी बताते हैं कि अपने धर्म प्रचार के 256 दिन पूरे होने पर यह शिलालेख चंदन पहाड़ी पर लिखा गया था. इस तरह के लघु शिलालेख सासाराम के अलावे उत्तर प्रदेश एवं कैमूर जिला में भी है. जिसमें बौद्ध धर्म के प्रचार के संबंध में शिलालेख अंकित किया गया है. बताया कि फिलहाल अभी एक चाबी आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इंडिया व दूसरी चाबी मजार कमिटी के पास है.
क्या है इतिहास : 1875 में अलेक्जेंडर कनिंघम जब भारत यात्रा पर आया था, उस समय उसने इस शिलालेख को देखा. अपनी पुस्तक में भी इसे वर्णित किया था. शोधकर्ताओं एवं इतिहासकारों ने अपनी किताबों में इसे स्थान दिया है. इस शिलालेख में अंकित शब्दों को पढ़ा भी गया था, जिसमें धार्मिक एवं सामाजिक सद्भाव की बात लिखी गई है. स्थानीय एसपी जैन कॉलेज के हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह बताते हैं कि आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा कई बार बिहार सरकार एवं स्थानीय प्रशासन को पत्राचार किया गया. लेकिन कोई भी कारगर कदम नहीं उठाया जा सका.