रोहतास: जिले में भीषण गर्मी पड़ने के बाद सोन नदी सूखने की कगार पर है. इस वजह से सहायक नदियों में भी पानी का अकाल पड़ गया है. जिले में पानी की किल्लत के कारण कई हाइडल प्लांट बंद हो गए हैं.
पानी की कमी से प्लांट हुए ठप
जिले में कुल 6 हाइडल प्लांट से बिजली उत्पादन का काम किया जाता है, लेकिन नदियों में पानी कम होने की वजह से ये प्लांट पूरी तरह से ठप हो चुका है. दिल्ली हाइडल को पानी सोन नदी से ही उपलब्ध होता है. बिजली आपूर्ति ठप होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. भीषण गर्मी में पानी की किल्लत से लोग काफी हलकान हो रहे हैं तो वहीं पावर सब स्टेशन को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है.नहर में जलापूर्ति ठप रहने के साथ-साथ मशीनों में खराबी भी इसका एक कारण बताया जा रहा है.
क्या है हाइडल व्यवस्था?
बिहार स्टेट हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन के जरिए हाइडल प्लांट से बिजली का उत्पादन होता है. इसके लिए मुख्य नहर में पानी का होना बेहद जरूरी है. नहरों में आपूर्ति होने वाले पानी से जल विद्युत का निर्माण करके पावर सब-स्टेशन को विद्युत की आपूर्ति की जाती है. इसके लिए सभी हाइडल प्लांट में दो मशीनें लगी होती है. इसमें तीन ऑपरेटर के अलावा 9 गेटमैन इस पूरे प्लांट में काम करते हैं. नहरों में पानी कम होने पर विद्युत आपूर्ति के लक्ष्य के मुताबिक नहीं हो पाती है और विद्युत उत्पादन का काम पूरी तरह से ठप हो जाता है.
जिले में कहां-कहां है हाइडल प्लांट?
जिले में कुल 6 हाइडल प्लांट हैं जो पूरी तरह काम करना बंद कर चुके हैं. वहीं डेहरी हाइडल प्लांट की बात करें तो वहां से रोजाना 6.6 मेगावाट और दूसके हाइडल प्लांट से 1 मेगावाट की बिजली आपूर्ति होती है. हाइडल प्लांट के ठप हो जाने से पावर सब स्टेशनों को विद्युत की बेहद कमी हो रही है, जिससे आम लोगों को पानी और बिजली की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.