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दिव्यांगता को पीछे छोड़ 'ड्रिप इरिगेशन खेती' से उन्नत किस्म के मटर की पैदावार कर रहा यह किसान - ड्रिप इरिगेशन खेती

रोहतास जिले के जमुहार गांव के रहने वाले दिव्यांग किसान मुकेश कुमार ने ट्रेडिशनल खेती को छोड़कर पने गांव के पैतृक जमीन पर ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से मटर की खेती शुरू की. उनकी सफलाता को देखते हुए आसपास के गांव के युवा उनसे इस खेती की तकनीक को सिखने के लिए दूर-दूर से आते हैं.

ड्रिप इरिगेशन खेती
ड्रिप इरिगेशन खेती

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Published : Feb 28, 2020, 5:23 PM IST

रोहतास: एक मशहूर कहावत है 'जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का. इस कहावत को चरितार्थ जिले के एक दिव्यांग किसान कर रहे हैं. हालांकि रोहतास जिले कि पहचान उन्नत किस्म की धान के पैदावार के लिए जानी जाती है. इस वजह से जिले की पहचान प्रदेश के मानचित्र पर धान के कटोरा वाले जिले को रूप में होती है. लेकिन अब इस धान के कटोरे में जमुहार गांव के रहने वाले दिव्यांग किसान मुकेश कुमार ने ट्रेडिशनल खेती को छोड़कर विभिन्न तरह की सब्जियां उगा रहे हैं.

'गर्मी के मौसम में भी उत्तम किस्म की मटर'
इसको लेकर किसान मुकेश कुमार बताते हैं कि दिव्यांगता को वजह से नौकरी मिलने में काफी परेशानी आ रही थी. इस वजह से उन्होंने अपने गांव के पैतृक जमीन पर ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से मटर की खेती शुरू की. मटर में सबसे खास बात यह है कि एक मटर में 10 दाने हैं. ऐसे में बाजार में इसकी कीमत भी काफी अच्छी खासी है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

'कम लागत में अधिक मुनाफा'
मुकेश कुमार ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.अपने 2 एकड़ भूमि उन्होंने पचास हजार की लगात से मटर की खेती शुरू की. इससे उन्हें लगभग 50 क्विंटल मटर की पैदावार की उम्मीद है. मुकेश ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन खेती की वजह काफी कम लगात आ रही है और मुनाफा ज्यादा हो रहा है.

'कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं मुकेश'
मुकेश की इस सफलता को देखकर उनके पास आस-पास के गांव के कई युवा उनसे ड्रिप इरिगेशन खेती तकनीक को सिखने आते हैं. मुकेश बताते हैं कि पारंपरिक खेती में काफी अधिक मजदूरी भी लगती थी. इससे मुनाफा की राशि कम हो जाती थी.

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