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गुमनामी के कगार पर एशिया का हब माना जाने वाला रोहतास उद्योग समूह, उम्मीदें तोड़ रही है दम

1984 में ट्रेड यूनियन मजदूरों को लेकर हुए लंबे विवाद के बाद उद्योग समूह को बंद करना पड़ा था. उसके बाद कई सरकारों ने इसे शुरू करने के वादे किए, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो सका.

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Published : Jan 10, 2020, 8:29 AM IST

रोहतास: कभी एशिया का हब माना जाने वाला रोहतास उद्योग समूह बीते 36 सालों से बंद पड़ा है. जिले के डालमियानगर में सैकड़ों एकड़ में फैले इस उद्योग समूह को रेलवे ने अधिकृत कर लिया था. लेकिन, अधिग्रहण के बाद यहां पर फैक्ट्री लगाने की प्रक्रिया इतनी धीमी चल रही है कि लोगों की सारी उम्मीदें टूट गई है. लोगों ने सरकार और रेलवे प्रशासन से इस उद्योग का जीर्णोद्धार करने का आग्रह किया.

रेलवे ने किया अधिग्रहण

अक्सर बनता है चुनावी मुद्दा
1984 में ट्रेड यूनियन मजदूरों को लेकर हुए लंबे विवाद के बाद उद्योग समूह को बंद करना पड़ा था. उसके बाद कई सरकारों ने इसे शुरू करने के वादे किए, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो सका. चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का, डालमियानगर रोहतास उद्योग समूह अक्सर चुनाव में बड़ा मुद्दा जरूर बनता है.

लोगों ने जाताया आक्रोश

रेलवे ने खरीदा था फैक्ट्री का हिस्सा
पिछले साल टेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन पुराने फैक्ट्री का मलबा खरीदने और बेचने तक ही बात रह गई. बता दें कि 2007 में रोहतास उद्योग समूह के एक बड़े फैक्ट्री के हिस्से को 140 करोड़ रुपये में रेलवे ने खरीदा था. उसी समय से स्थानीय लोग इस फैक्ट्री के दोबारा खुलने की आस लगाए बैठे हैं.

पेश है रिपोर्ट

'जनप्रतिनिधि सिर्फ वादे करते हैं'
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके के सांसद या विधायक सिर्फ वादे करते हैं. धरातल पर किसी का प्रयास नहीं दिखता है. अब देखना है कि भारत के नंबर वन उद्योग समूह की श्रेणी में स्थान रखने वाले डालमियानगर उद्योग समूह के परिसर में मशीनों की आवाज कब तक सुनाई देती है.

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