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कहीं सिमट कर न रह जाए BSNL का वजूद, दिनों-दिन घट रही उपभोक्ताओं की संख्या - rohtas news

दूरसंचार के जिला प्रबंधक की मानें तो इस समय पूरे जिले में महज 5000 ही उपभोक्ता बीएसएनएल का टेलीफोन इस्तेमाल कर रहें है. वहीं सासाराम शहर की बात करें तो डेढ़ लाख की आबादी वाले इस शहर में 2000 लोग ही बीएसएनएल के लैंडलाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं.

सासाराम एक्सचेंज

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Published : Aug 3, 2019, 8:02 PM IST

रोहतास:देश की सबसे बड़ी टेलीफोन कंपनी बीएसएनएल आज बेहद बुरे दौर से गुजर रही है. इसका असर रोहतास जिला में भी देखा जा सकता है. सासाराम बीएसएनल एक्सचेंज में बीएसएनएल के उपभोक्ता लगातार घट रहे हैं. हालांकि जिला दूरसंचार प्रबंधक की मानें तो स्थिति पहले से सुधरी है, लेकिन फिर भी कई असुविधा होने के कारण लोग इसकी तरफ आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं.

सासाराम एक्सचेंज


रामविलास पासवान ने की थी सासाराम एक्सचेंज की स्थापना
गौरतलब है कि रोहतास जिले में बीएसएनएल का प्रभाव पूरी तरह से लगातार कम होता जा रहा है. बता दें कि सासाराम एक्सचेंज की स्थापना पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने वर्ष 2000 में किया था. जिस समय इस एक्सचेंज की स्थापना की गई थी इसकी क्षमता तकरीबन 6000 लाइन वाले एक्सचेंजों की थी. लेकिन धीरे-धीरे सासाराम एक्सचेंज की क्षमता पूरी तरह से सिमटती चली गई है.

सासाराम से खास रिपोर्ट

महज 5000 उपभोक्ता कर रहे बीएसएनएल का इस्तेमाल
वहीं, दूरसंचार के जिला प्रबंधक की मानें तो इस समय पूरे जिले में महज 5000 ही उपभोक्ता बीएसएनएल का टेलीफोन इस्तेमाल कर रहें है. वहीं सासाराम शहर की बात करें तो डेढ़ लाख की आबादी वाले इस शहर में 2000 लोग ही बीएसएनएल के लैंडलाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं. जबकि जिला दूरसंचार प्रबंधक की मानें तो मोबाइल उपभोक्ता की संख्या कुछ हद तक बढ़ी है.

जिला दूरसंचार प्रबंधक

4G सेवा नहीं हुई अभी तक चालू
ऐसे में सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर लोग बीएसएनएल का इस्तेमाल क्यों करें. जब निजी कंपनी के मोबाइल सेवाएं बीएसएनएल से बेहतर सुविधाएं प्रदान कर रही है. वहीं, निजी क्षेत्र की कंपनी जिले में 4G सेवाएं कई सालों से दे रही है. जबकि बीएसएनएल का 4G सेवा अबतक सासाराम जैसे शहर में नहीं चालू हो सका है. जाहिर है बीएसएनएल के इस असुविधा से लोग निजी कंपनी के तरफ ज्यादा रुख कर रहे हैं.

कर्मचारियों की कमियों से जूझ रही बीएसएनएल
वहीं बीएसएनएल इन दिनों लगातार अपने कर्मचारियों की कमियों से जूझ रही है. यहां तकरीबन 50 फीसद पद खाली पड़े हैं. जहां नई बहाली न होने से बीएसएनएल के कामकाज पर काफी असर पड़ रहा है. हालांकि जिला दूरसंचार प्रबंधक की मानें तो स्थिति पहले से सुधरी है, लेकिन फिर भी कई असुविधा होने के कारण लोग इसकी तरफ आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं.

घाटे में चल रहा है बीएसएनएल
बहरहाल, बीएसएनएल की यही हालात रही तो वह दिन दूर नहीं जब इसके उपभोक्ता मुट्ठी भर में सिमट कर रह जाएंगे. क्योंकि बीएसएनएल की खराब सेवाओं से लगातार उसके उपभोक्ता कम हो रहे हैं और बीएसएनएल घाटे में चल रहा है.

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