रोहतास: जिला मुख्यालय के चेनारी प्रखंड के मल्हीपुर गांव में एक मात्र आयुर्वेदिक अस्पताल है. ये अस्पताल भी बदहाल स्थिति में है. इस बदहाली ने सरकार पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. यहां डॉक्टर नहीं चपरासी मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
गौरतलब है कि एक तरफ जहां राज्य सरकार स्वास्थ्य के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है. वहीं, हकीकत में सरकारी अस्पतालों के हाल बेहद खस्ता हैं. सरकारी अस्पतालों में वही लोग इलाज कराने जाते हैं. जो बेहद गरीब परिवार से आते हैं. लेकिन अफसोस सरकारी अस्पताल का हाल देख कर आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते है कि यहां इलाज किस कदर होता है.
चपरासी करते हैं इलाज
वैसे आयुर्वेदिक दवाईयों की मांग शुरू से ही रही है. क्योंकि इसका साइडइफेक्ट भी नहीं होता. लेकिन अफसोस आयुर्वेदिक अस्पताल होने के बाद भी गरीब लोगों तक इसका लाभ नहीं पहुच पा रहा है. मल्हीपुर गांव में आयुर्वेदिक अस्पताल का तो गजब का ही हाल है. यहां डॉक्टर नहीं खुद अस्पताल के चपरासी ही मरीजों का इलाज करते हैं. इतना ही नहीं यहां पर दवाईयों की खासी कमी है.
बची दवाईयों से चल रहा अस्पताल
वहीं, दवाईयों के बारे में जब अस्पताल के चपरासी से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि जो दवाईयां है उसी से अस्पताल को चलाया जाता है. बहरहाल, अस्पताल में डॉक्टर हफ्ते में मात्र तीन दिन ही यहां पंहुचते हैं. इससे अहम सवाल ये है कि पूरा अस्पताल मात्र एक चपरासी के सहारे ही चलाया जा रहा है.