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इस अस्पताल में डॉक्टर की जगह गार्ड करते हैं मवेशियों का इलाज - रोहतास

जिला पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि इस अस्पताल में डॉक्टर की कमी है. क्योंकि फिलहाल वहां पर महज एक ही डॉक्टर कार्य करते हैं. वहीं कई जगहों का चार्ज होने की वजह से डॉक्टर तिलौथू के अस्पताल में पूरी तरह से समय नहीं दे पाते हैं.

खाली पड़ा चिकित्सक कक्ष

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Published : Jun 7, 2019, 9:56 AM IST

रोहतासः जिला मुख्यालय के तिलौथू प्रखंड में स्थित पशु अस्पताल की हालत बद से बदतर है. लेकिन इसकी परवाह ना तो सरकार को है और ना ही उनके हुक्मरानों को. डॉक्टरों की कमी के कारण किसानों को अपने मवेशियों का इलाज कराने में परेशानी होती है. यहां का पशु अस्पताल नाइट गार्ड के भरोसे ही चल रहा है.

जानवरों को दी जाने वाली दवाइयां

अस्पताल में नहीं है डॉक्टर
गौरतलब है कि पशुओं की बीमारी के इलाज के लिए पूरे राज्य में सरकार ने पशु अस्पताल बनवाया था. ताकि किसानों और मवेशी पालने वालों को सुविधा हो सके. लेकिन कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही ने पशु अस्पताल को ही बीमार कर दिया है. रोहतास जिला के तिलौथू प्रखंड के सरकारी पशु अस्पताल का हाल भी बेहाल है, क्योंकि इस अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं हैं. डॉक्टर की कमी होने की वजह से किसानों को अपने मवेशियों का इलाज कराने में परेशानी होती हैं.

अस्पताल में रखे बेकार सामान

दवाइयों का भी घोर अभाव
वहीं, अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि वहां जाना तो दूर किसान उस अस्पताल के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं, क्योंकि वहां पर ना तो दवाइयां है और ना ही स्थाई रूप से डॉक्टर. लेकिन डॉक्टरों की कमी यहां पर मौजूद नाइट गार्ड पूरी कर देते हैं. क्योंकि यह नाइट गार्ड ही पशुओं का इलाज करते हैं. जो काम डॉक्टर को करना चाहिए वह काम सुरक्षा में मुस्तैद रहने वाले गार्ड करते हैं.

खाली पड़ा चिकित्सक कक्ष और बयान देते जिला पशुपालन पदाधिकारी

जानवरों को लेकर भटकते हैं लोग
बहरहाल, इस बारे में जब जिला पशुपालन पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में डॉक्टर की कमी है. क्योंकि फिलहाल वहां पर महज एक ही डॉक्टर कार्य करते हैं. वह भी हफ्ते में कई दिन दूसरे पशु अस्पताल में अपनी ड्यूटी देने चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि कई जगहों का चार्ज होने की वजह से डॉक्टर तिलौथू के अस्पताल में पूरी तरह से समय नहीं दे पाते हैं. डॉक्टर के नहीं रहने की वजह से लोग अपने मवेशियों को लेकर यहां-वहां भटकते रहते हैं. वहीं, अस्पताल में दवाइयों की भी घोर कमी साफ देखी जा सकती है.

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