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खुद बीमार है यह संयुक्त औषधालय, बिना इलाज के ही लौट जाते हैं मरीज - medicine

पुराने मर्ज का इलाज आज भी होम्योपैथिक के सहारे ही किया जाता है. लेकिन अफसोस सरकार की उदासीनता की वजह से जिले का एकमात्र संयुक्त औषधालय खुद बिमार पड़ा है.

संयुक्त औषधालय

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Published : Mar 11, 2019, 1:01 PM IST

रोहतास. सरकार स्वास्थ्य सेवाओंको लेकर तरह-तरह के दावे करती है, लेकिन हकीकत में यह कितना सच है येजिले के संयुक्त औषधालय को देख कर पता चल जाएगा. जिला मुख्यालय में मौजूद एकमात्र संयुक्त औषधालय इन दिनों बेहद खस्ताहाल है, लेकिन इसकी परवाह ना तो सरकार को है और ना ही स्थानीय प्रशासन को.

सासाराम शहर के बीचों-बीच मौजूद ये संयुक्त औषधालय अपनी खस्ताहाली पर आंसू बहा रहा है.यहां ना तो डॉक्टर हैं और ना ही मरीजों के लिए कोई इंतजाम. सबसे अहम बात तो यह है कि इस अस्पताल में आयुर्वेदिक होम्योपैथिक और यूनानी तीनों विभाग मौजूद है, लेकिन सभी विभाग बंद पड़े हैं. क्योंकि इस अस्पताल को ना तो अपनी बिल्डिंग नसीब है और ना ही डॉक्टर.

संयुक्त औषधालय, सासाराम

अस्पताल में दर्जन से ज्यादा पद खाली
अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि इस अस्पताल में तकरीबन दर्जन से ज्यादा पद खाली है. जिसकी वजह से यहां मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है. जाहिर है होम्योपैथिक दवाओं से लोगों का नाता काफी पुराना है. आज भी लोग होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल अंग्रेजी दवाओं से ज़्यादा करते हैं. क्योंकि पुराने से पुराने मर्ज का इलाज आज भी इसी होम्योपैथिक के सहारे किया जाता है. लेकिन अफसोस सरकार की उदासीनता की वजह से जिले का एकमात्र संयुक्त औषधालय खुदबीमार पड़ा है. इस अस्पताल परिसर मेंबिजली तक नहीं पहुंच पाई है, ना ही पीने का पानी नसीब है. ऐसे में अगर कोई मरीज यहां आता भी है तो उसे पानी तक नसीब नहीं हो सकता.

सासाराम का खस्ताहाल संयुक्त औषधालय

कर्मचारियों का क्या है कहना?
यहां काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि बिल्डिंग ना होने की वजह से उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गर्मी के दिनों में तपिश उन्हें बेचैन कर देती है. जाहिर है जब मरीज अस्पताल में पहुंचते हैं तो उन्हें बैठने तक के लिए जगह नसीब नहीं होती. बहरहाल अगर सरकार इस पर ध्यान दे तो आने वाले दिनों में यह काफी बेहतर अस्पताल साबित होगा. लोग यहां पर इलाज के लिए आएंगे. क्योंकि ये जिले में सिर्फ एकलौता औषधिअस्पताल है. जिसकी मांग आज भी लोगों के बीच काफी है.

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