रोहतासः बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन के बैनर तले आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाएं सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई हैं. ऐसे में आलम यह है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताले लटक रहे हैं और केंद्र पर आने वाले बच्चे बैरंग वापस घर लौट रहे हैं. दअरसल ये कर्मी राज्य सरकार की दोहरी नीतियों से खफा हैं और इसीलिए उन्होंने अपना काम बंद कर दिया है.
Anganwadi Workers Strike In Rohtas: 'वादा करके मुकर गई सरकार, लेकर रहेंगे हक', अनिश्चित हड़ताल पर आंगनबाड़ी सेविका, सहायिकाएं - Rohtas NEWS
राज्य सरकार की नीतियों से नाराज आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाएं सोमवार से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल (Anganwadi Workers Indefinite Strike In Rohtas) पर चली गईं हैं. उनका कहना है कि सरकार दोहरी नीति अपना रही है, पिछले 5 महीनों से उनका मानदेय नहीं दिया जा रहा है और टोला सेवकों व विकास मित्रों के वेतन में वृद्धि कर दी गई.
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Published : Oct 10, 2023, 11:02 AM IST
अनिश्चित हड़ताल पर आंगनबाड़ी कर्मचारी: आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं ने आरोप लगाया कि उनका मानदेय पिछले 5 महीने से नहीं दिया जा रहा है अन्नप्राशन, गोद भराई, मोबाइल रिचार्ज पिछले 1 साल से नहीं मिला है. वहीं सरकार एक मजदूर की भी मजदूरी नहीं दे रही है. जबकि मानदेय बढ़ाने का वादा किया गया था यह आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ सरकार का अन्यायपूर्ण रवैया है. आंगनबाड़ी सेविकाएं व सहायिकाएं किसी कीमत सरकार की दोहरी नीति की पोल खोल कर रहेंगी.
"टोला सेवकों व विकास मित्र के वेतन में वृद्धि कर दी गई है, सरकार की आंखों की किरकिरी सिर्फ आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाएं हैं. इनका मानदेय बढ़ाने का वादा किया गया था लेकिन वादा करके सरकार मुकर गई है. किसी भी कीमत पर अपनी मांगों को मनवाने को बाध्य कर देंगे. सरकार की गलत नीतियों से तंग आकर आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संयुक्त संघर्ष समिति ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है"- कुमारी संध्या, जिलाध्यक्ष, आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन
क्या है सरकार पर आरोप :आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं का संगठन अपनी 8 सूत्री मांगों को लेकर 9 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ की जिलाध्यक्ष कुमारी संध्या ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार के द्वारा घोषणा पत्र में सरकार बनने पर आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका के मानदेय को दुगना करने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक उन्हें सिर्फ 5 हजार 800 रुपए ही मानदेय के तौर पर सरकार देती है. चार घण्टे कहकर 24 घंटे काम लेती है. उनके पति वह बच्चे भी आंगनबाड़ी का कार्य करने में सम्मिलित होते हैं.
यूनियन कीउपसचिव उषा देवी कहती हैं-"विभागीय निर्देश के मुताबिक सभी सेविकाओं से सिर्फ चार घंटे ही काम लेना है लेकिन अधिकारियों के द्वारा दबाव बनाकर उनसे 24 घंटे का काम लिया जाता है. यही नहीं उनका 5 महीने से मानदेय भी बकाया है अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानी तो हम आंदोलन को और भी धारदार करेंगे. किसी भी कीमत पर शोषण बर्दाश्त नहीं करेंगे".