सीएम नीतीश के काफिले के चलते फंस गई एंबुलेंस रोहतास: सीएम नीतीश अपने काफिले के साथ रोहतास में समाधान यात्रालेकर पहुंचे थे. लेकिन उनके कारकेड के चलते सड़कों पर लंबा जाम लग गया. हैरानी की बात ये है कि एक एंबुलेंस को सीएम नीतीश के अफसरों ने निकलने का रास्ता नहीं दिया. जबकि एंबुलेंस के अंदर ब्रेन हैमरेज का एक सीरियस मरीज तड़प रहा था. ये वाकया सासाराम-आरा पथ के मोकर के पास का है. तकरीबन 1 घंटे तक गाड़ियां सीएम नीतीश काफिले के चलते अटकी रहीं.
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एंबुलेंस को नहीं दिया रास्ता: बड़ी बात ये है कि इस दौरान एक एंबुलेंस भी ब्रेन हेमरेज के एक महिला मरीज को लेकर फंसी रही. लेकिन किसी ने उसे निकालने की जहमत नहीं उठाई. बता दें कि नोखा से सासाराम की ओर एक मरीज को लेकर एंबुलेंस जा रही थी. जिसे मोकर गांव के पास रोक दिया गया. जिस कारण घंटों मरीज परेशान रहा. वहीं मरीज के परिजन भी परेशान दिखे. एंबुलेंस का सायरन बजता रहा, लेकिन किसी अधिकारी या पुलिसकर्मी ने उसे निकालने की कोशिश नहीं की.
ये तो शर्मनाक है..! : वीडियो में देखा जा सकता है कि लगातार एंबुलेंस का सायरन लगातार बज रहा है. फिर बाद में स्थानीय लोगों ने जब विरोध करना शुरू किया तब भी एंबुलेंस को रास्ता नहीं दिया गया. बाद में जब सीएम का काफिला गुजर गया, उसके बाद एंबुलेंस को जाने दिया गया. जिस कारण मरीज की जान खतरे में पड़ी रही.
पीएम मोदी ने भी दिया था एंबुलेंस को रास्ता: बता दें कि प्रधानमंत्री के काफिला को रोक कर भी एंबुलेंस को पार कराया जाता है. लेकिन यहाँ मुख्यमंत्री के समाधान यात्रा को लेकर स्थानीय अधिकारियों ने अपने मनमानी पूर्ण रवैया के कारण एक मरीज की जान खतरे में डाल दी. पीएम नरेन्द्र मोदी जब गुजरात में चुनावी रैली कर रहे थे तब उस वक्त ऐसे ही एक एंबुलेंस रास्ते में आ गई थी. लेकिन एसपीजी के अधिकारियों ने एंबुलेंस को निकलने का रास्ता दिया बल्कि उसे बाहर निकालने में भी मदद की थी.
क्या कहता है कानून?: किसी भी एंबुलेंस को रास्ता नहीं देने पर 10 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता है. लेकिन जब नियमों का पालन करवाने वाले ही ऐसा करेंगे तो आम पब्लिक कैसे जागरूक होगी? जब एंबुलेंस का सायरन बज रहा हो तो इसका मतलब है कि वो इमरजेंसी में है और वो या तो मरीज लेकर जा रही होती है या फिर लेने के लिए जा रही होती है. ये व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि बिना देरी किए मरीज की जान बचाई जा सके.