रोहतास:बिहार के स्कूल-कॉलेजों की दशा किसी से छिपी नहीं है. शिक्षा में सुधार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाख बातें कर लें. तमाम योजनाएं लागू कर लें. लेकिन नतीजा धाक के तीन पात साबित हो रहे हैं. राज्य में कई ऐसे स्कूल हैं जिन्हें शिक्षकों की कमी के चलते बंद करना पड़ता है. लेकिन अब प्रदेश सरकार के शिक्षा व्यवस्था की कलई खुद सरकारी विद्यालय ही खोल रहे हैं. ताजा मामला रोहतास जिले के नोखा में स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय गढ़नोखा (Higher Secondary School Garh Nokha Rohtas) से है. यहां बिहार शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही के चलते एक ही विषय के 14 शिक्षकों को एक स्कूल में पदस्थापित किया गया है. यह लापरवाही आज की नहीं बल्कि पिछले 8-9 साल पहले की है, लेकिन आज तक विभाग के किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली. ताकि जिन स्कूलों को शिक्षकों की जरूरत है, उन्हें वहां भेजा जाए.
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दअरसल, नोखा के इस विद्यालय में भवन तो है, लंबा चौड़ा परिसर भी है. इसे मॉडर्न स्कूल भी बनाया गया है ताकि शिक्षा के तमाम बेहतर उपाय किए जाए. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि इस विद्यालय में बिहार शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण समाजिक विज्ञान के 14 शिक्षकों की पदस्थापना की गई है. वर्ष 2013-14 में नोखा नगर पंचायत द्वारा किए गए नियोजन में यह सब गड़बड़ झाला किया गया. ऐसे सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि विभाग के किसी अधिकारी ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया?
हिंदी और उर्दू के शिक्षकों का अभाव: इस पूरे मामले के संबंध में विद्यालय के प्रधानाध्यापक कुमार रितेश बताते हैं कि विद्यालय में हिंदी और उर्दू के शिक्षकों का अभाव है. वहीं सामाजिक विज्ञान के 14 शिक्षक (Social Science Teacher) यहां पदस्थापित है. जिसमें से 13 शिक्षक लगातार उपस्थित भी हैं और बच्चों को पठन-पाठन करवा रहे हैं. लेकिन किन परिस्थितियों में इस स्कूल में एक विषय के इतने शिक्षक तैनात किए गए हैं. इस पर वह कुछ भी बोलने से बचते नजर आए.