इथेनॉल फैक्ट्री के जहरीले पानी से मरीं हजारों मछलियां पूर्णिया:बिहार के पूर्णिया में केके नगर थाना क्षेत्र के गणेशपुर पंचायत के डहरी गांव मैं मत्स्य पालन कर रहे लोगों को बड़ा नुकसान हुआ है. अचानक उनके पोखर की हजारों मछलियां मरकर ऊपर तैरती दिखी. दरअसल गांव में बने इथेनॉल कंपनी से निकलने वाले जहरीले पानीकी वजह से यह घटना हुई है. मत्स्य पालकों ने बताया कि लगभग 30 से 35 लाख रुपये का हुआ नुकसान हुआ है, सरकार से लोन लेकर इस कारोबार में जुटे थे.
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इथेनॉल फैक्ट्री से छोड़ा गया जहरीला पानीःमछली पालकों ने इथेनॉल कम्पनी से जहरीले पानी के कारण मछलियों के मरने की वजह बताई है. लोगों ने कहा बारिश शुरू होते ही गणेशपुर डहरी नदी में इथेनॉल फैक्ट्री के केमिकल युक्त दूषित पानी का बहाव गहरी नदी में मिलने से शुक्रवार से ही मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है. दरअसल बारिश के समय फैक्ट्रियों का अवशिष्ट और जहरीला दूषित पानी नदी में छोड़ दिया जाता है, जिसके कारण ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियां दम तोड़ने को विवश हो जाती हैं.
बड़ी संख्या में मछलियों की मौत: डहरी नदि व जलघर के किनारे जालों पर मरी हुई मछलियों की ढ़ेर लगी है. लोगों ने बताया कि यहां हजारों मछलियां मर कर नदी में तैर रही हैं. मरी हुई मछलियों के कारण आसपास के क्षेत्रों में काफी बदबू फैली हुई है. जिससे खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा है. मछली पालक शंकर महालदार ने बताया शुक्रवार को बारिश हुई थी जिसके बाद फैक्ट्रियों से केमिकल युक्त गंदा पानी बहते हुए डहरी जलकर नदी में छोड़ा गया. जिसके कारण बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो गई.
''बैंक से लोन लेकर 100 एकड़ के नदी में 7 क्विंटल मछली का बीज गिराया था. 6 माह से लगातार हमलोग मछली पालन कर रहे है. लेकिन,अब जब पूंजी निकालने की बारी आई तो तब इस कम्पनी के जहरीले पानी से सारी मछलियों की मौत हो गई. अब कहां से कर्जा चुकाएंगे.''- शंकर महालदार, मछली पालक
'मर रहीं मछलियां':वहीं, दूसरी ओर जिला परिषद देशबंधु उर्फ बुलबुल कुमार एवं पंचायत समिति सदस्य अरविंद यादव सहित पंचायत के अनेक किसानों ने विरोध जताते हुए कहा कि फैक्ट्री के ठीक पीछे से बहते हुए केमिकल युक्त गंदे पानी बारिश के मौसम में हम लोगों के खेते में आ जाते हैं, जिससे मखाना, पटवा, धान आदि फसल का बीते 3 सालों से नुकसान होता जा रहा है. पीड़ित किसानों ने दुख प्रकट करते हुए कहा इसके गंदे पानी की वजह से मजदूर खेत में काम करने नहीं आते हैं. उनके पैर में खुजली हो जाता है, जिस कारण दूसरे दिन मजदूर खेत पर काम करने नहीं आते हैं.
"पालतू पशु अगर यह पानी पीता है तो बीमार पड़ जाता है. अनेक जीव जंतु जो जमीन में रहकर मिट्टी को उर्वरक प्रदान करती है चाली, केचुआ, घेंगा, मछली आदि की इस जहरीले पानी से मौत हो रही है. आए दिन हमलोगों की जमीन बंजर होती जा रही है"-स्थानीय किसान
किसानों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनीःकिसानों का कहना है कि वह वक्त दूर नहीं जब इथेनॉल कम्पनी के आस-पास की जमीन बंजर हो जाएगी. हमारे दुख को सुनने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर कंपनी बंद नहीं होगी तो किसान उग्र आंदोलन करेंगे. वहीं, दूसरी ओर इथेनाॅल कंपनी के मालिक अमिताभ वर्मा से इस समस्या को लेकर मोबाइल से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो सम्पर्क नहीं हो पाया.