पूर्णियाःमौत के साए में जी रहे जिले के 70 थैलेसीमिया पेशेंट इन दिनों जीवन की आस में स्वास्थ्य विभाग की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. खून की कमी से मरीजों को बचाने के लिए भारत और बिहार सरकार ने अस्पताल को तमाम सुविधाएं मुहैया कराने के सख्त निर्देश दे रखे हैं. इसके बावजूद विभाग कान में तेल डालकर इन निर्देशों की धज्जियां उड़ाता नजर आ रहा है.
इलाज के लिए विभाग के चक्कर लगा रहे मरीज
दरअसल जिले में तकरीबन 70 लोग थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. इनमें ज्यादातर 15 साल से भी कम उम्र के बच्चे हैं. दर-दर की ठोकरें खा रहे थैलेसीमिया पेशेंट की जान कभी भी जा सकती है. हैरत की बात है कि एक कदम न चल पाने की अवस्था में भी ये बच्चें परिजनों के साथ जीवन की आस में सदर अस्पताल से लेकर रेड क्रॉस सोसायटी के चक्कर काट रहे हैं. मगर स्वास्थ्य महकमे के कान में जूं तक नहीं रेंग रहा. ऐसे में किसी भी वक़्त सही समय पर ब्लड नहीं मिलने से पल भर की देरी में ये थैलेसीमिया पेशेंट मौत के मुंह में समा सकते हैं. परिजनों की मानें तो इनके सामने सबसे बड़ी समस्या ब्लड और आयरन टैबलेट्स की है. जिसे लेकर सभी बड़े अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगा चुके हैं.
ईटीवी भारत की पड़ताल में आए चौंकाने वाले सच
ईटीवी भारत ने जब इस मामले में पड़ताल की तो सुविधाओं का घोर अभाव था. इस दौरान बेहद चौंकाने वाला सच सामने आया. अस्पताल में न तो थैलेसीमिया पेशेंट के शरीर से आयरन की मात्रा कम करने वाली आयरन चिलेटर यानी डेसिरोकस की व्यवस्था है और न सुरक्षित ब्लड चढ़ाने के लिए ब्लड को फिल्टर करने वाली लिकोसाइट फिल्टर बैग. ऐसे में थैलेसीमिया पेशेंट के लिए एक अलग वार्ड व थैलेसीमिया स्पेशलिस्ट हेमाटोलॉजिस्ट चिकित्सक की उम्मीद रखना बेईमानी है. थेलसिमीया पेसेंट्स की संख्या 70 से भी अधिक है. इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे तकरीबन 70 मरीजों में ज्यादातर 15 साल से भी कम के हैं. वहीं, इस फेहरिस्त में ऐसे मरीजों का भी नाम शामिल है जिनकी उम्र तो वैसे 17-25 साल है. मगर थेलसिमीया जैसे गंभीर बीमारी से जूझने के कारण वे इतने कमजोर हो गए हैं कि देखने में बच्चे मालूम पड़ते हैं.
थैलेसीमिया पेशेंट को क्या सुविधाएं दे रही सरकार
भारत सरकार की नेशनल रूरल हेल्थ मिशन ने सूबे के सभी जिला अस्पतालों में थेलसिमीया पेशेंट के लिए शरीर से आयरन कम करने की दवाई (आयरन चिलेटर) यानी डिसेरोकस की व्यवस्था की है. इसके साथ ही थैलेसीमिया पेशेंट को सुरक्षित ब्लड चढ़ाने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले लिकोसाइट ब्लड फिल्टर बैग की सुविधा अनिवार्य कर रखा है. नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन कॉउंसिल व बिहार सरकार ने सभी थैलेसीमिया पेशेंट के लिए 2009 में ही सभी सरकारी अस्पताल के ब्लड और रेडक्रॉस सोसायटी को सभी थेलसिमीया पेशेंट के लिए बिना प्रतिस्थापन निःशुल्क ब्लड आपूर्ति करने के आदेश दे रखे है. भारत सरकार ने 4 जनवरी 2018 को ही एक नोटिफिकेशन जारी कर थेलसिमीया पेशेंट को उनके जिला अस्पताल द्वारा दिव्यांगता प्रमाणपत्र निर्गत करने का आदेश जारी कर रखा है. लेकिन अब तक इनमें से कोई भी सुविधा थैलेसीमिया पेशेंट के लिए बहाल नहीं की जा सकी है.