पूर्णिया:देश सेवा की कोई उम्र नहीं होती है. लिहाजा, 46 साल के अनिल आज कंधों पर पत्नी और 2 बच्चों की जिम्मेवारी के बावजूद फेंके गए तिरंगे झंडे की अहमिहत जानते हुए उसे संग्रहित करने का काम कर रहे हैं. ऐसे देश प्रेम के लिए उन्हें कई बड़े मंचों सहित डीआईजी ने भी सम्मानित किया है.
जानें कौन हैं फ्लैग मैन अनिल?
शहर के रजनी चौक स्थित विवेकानंद कॉलोनी में रहने वाले अनिल चौधरी पेंटिंग की दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. अनिल ने बताया कि उन्हें बचपन से ही इंडियन आर्मी में शामिल होकर देश सेवा की चाहत थी. साथ ही इस सेवा से मिले वेतन से एनजीओ खोल समाजसेवा भी करना चाहते थे. इसीलिए अक्सर उनकी पेंटिंग में पाकिस्तान के साथ युद्ध में हुई जीत के साथ गरीबों की मदद करते भारतीयों की तस्वीर दिखाई देती है.
पिता के फौजी दोस्त से मिली प्रेरणा
फौजी पिता बिंदेश्वरी प्रसाद चौधरी और बीएसएफ में शामिल छोटे भाई अरुण चौधरी की तरह अनिल भी फौज में शामिल होकर देश सेवा करना चाहते थे. लेकिन, ये सपना उनका अधुरा रह गया. लेकिन, एक दिन अपने पिता के फौजी दोस्त को फेंके गए तिरंगे झंडे को लेकर चिंता जाहिर करते देख उन्होंने फेंके हुए झंडों को इकट्ठा कर देशसेवा करने की ठान ली.
दोस्तों ने उड़ाया था मजाक
देशप्रेमी अनिल ने बताया कि जब वे 30 साल के थे, तब से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के बीतने के बाद फेंके गए झंडों को इकट्ठा करना शुरू किया था. उनके दोस्त उनका मजाक भी उड़ाया करते थे. लेकिन, जो लोगों के लिए शर्म की बात थी, वो उनके लिए गर्व की बात थी.