पूर्णिया: जिले के अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी समुदाय ने पुलिस के खिलाफ धरना दिया है. इस समुदाय का आरोप है कि उनके ही जाति के एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई. लेकिन 5 महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया है. लोगों ने पुलिस को चेतावनी दिया है और कहा है यदि जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं हुई तो यह धरना उग्र आंदोलन में बदल जाएगा.
संविधान बचाओ संघर्ष समिति ने किया धरना
दरअसल, जिले में एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय पुलिस से नाराज है. जिस कारण इस समुदाय के लोगों ने एकजुट होकर सोमवार को थाना चौक पर पुलिस प्रशासन के विरोध में धरना दिया. इस धरने का नेतृत्व संविधान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले अनुसूचित जाति/जनजाति व ओबीसी समुदाय के 12 संघठनों की ओर से किया गया. इसमें सैकड़ों की संख्या में नेताओं ने आईजी विनोद कुमार और डीएम राहुल कुमार को इस विशेष समुदाय के लोगों की हत्या और मारपीट जैसे विभिन्न मांगों को लेकर आयोजित धरने को लेकर अपना लिखित आवेदन सौंपा.
एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय ने पुलिस प्रशासन खिलाफ किया धरना पुलिस ने नाराज है एससी, एसटी समुदाय
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद अध्यक्ष विजय उरांव ने कहा कि आज आयोजित धरना ज़िला पुलिस के लिए सिर्फ एक आक्रोश का एक ट्रेलर है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से धमदाहा थाना क्षेत्र के विशनपुर निवासी हरिश्चंद्र उरांव हत्या की गई. लेकिन 5 महीने बीतने के बाद आज तक पुलिस ने कुछ नहीं किया. अभियुक्त खुले घूम रहे हैं. ऐसे ही कई घटनाएं हमारे समाज के लोगों के साथ होता है और पुलिस प्रशासन भेदभाव करती है.
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'पुलिस प्रशासन करती भेदभाव'
अजय भारती जिला अध्यक्ष बहुजन मुक्ति पार्टी ने जिला पुलिस को अल्टीमेटम जारी करते हुए कहा कि अगर पुलिस जल्द से जल्द इन सभी मामलों के अभियुक्तों को सलाखों के पीछे नहीं भेजती तो इसका खामियाजा भुगतने के लिए प्रशासन तैयार रहे. उन्होंने कहा कि जिला पुलिस के इस भेदभाव की नीति के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी समुदाय के लाखों की आबादी सड़क पर उतरेगी. फिर हम आवेदन या अनुरोध नहीं करेंगे बल्कि उग्र आंदोलन करेंगे.