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नवंबर में होने वाली थी सुशांत सिंह राजपूत की शादी, रिश्तेदार मुंबई जाने की कर रहे थे तैयारी - sushant singh rajput suicide news

रिश्तेदारों ने बताया कि सुशांत घर वालों से कुछ भी छिपाना मुनासिब नहीं समझते थे. उनके लिए सब कुछ उनका परिवार ही था. पैतृक गांव होने के कारण सुशांत के परिवार के ज्यादातर लोग मल्लडीहा में ही रहते हैं.

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Published : Jun 15, 2020, 7:55 AM IST

पूर्णियाः रविवार को बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड की खबर सामने आई. पूरे देश के साथ-साथ उनके परिवार वालों को भी अभी तक इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि उनका लाडला 'भूषण' अब उनके बीच नहीं रहा. सुशांत के पैतृक गांव जिले के बी. कोठी प्रखंड के मल्लडीहा में रहने वाले रिश्तेदारों ने बताया कि वे नवंबर में शादी करने वाले थे.

पैतृक गांव में छाया मातम
दरअसल बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत का पैतृक गांव जिला मुख्यालय से 72 किलोमीटर दूर बी. कोठी प्रखंड के मल्लडिहा गांव में है. जहां उनके सुसाइड की खबर मिलने पर रिश्तेदारों के बीच मातम छा गया. मल्लडीहा के गलियों को हमेशा के लिए अलविदा कह गए इस लाडले भूषण के घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है.

देखें रिपोर्ट

नवंबर में होने वाली थी शादी
एक्टर के चचेरे भाई पन्ना कुमार सिंह ने बताया कि हाल में सुशांत के पिता से बात हुई थी, वे बेहद खुश थे और किसी तरह की परेशानी की बात उन्होंने नहीं बताई थी. पन्ना कुमार सिंह ने बताया कि नवंबर में सुशांत की शादी होने वाली थी. इसको लेकर सभी रिश्तेदार मुंबई जाने की तैयारी कर रहे थे.

सुशांत की बड़ी मां

घर से कुछ भी नहीं छिपाते थे सुशांत
रिश्तेदारों ने बताया कि सुशांत घर वालों से कुछ भी छिपाना मुनासिब नहीं समझते थे. उनके लिए सब कुछ उनका परिवार ही था. सुशांत की बड़ी मां ने बताया कि उनसे आखिरी बात में एक्टर ने उन्हें बद्रीनाथ ले जाने की बात कही थी और वे खुश थे.

सुशांत की चचेरी बहन

मल्लडिहा की गलियों को छोड़ गया 'भूषण'
पैतृक गांव होने के कारण सुशांत के परिवार के ज्यादातर लोग मल्लडीहा में ही रहते हैं. हालांकि 4 बहनों पर एक भाई सुशांत अपने माता-पिता के साथ पटना में रहते थे. एक्टर बनने से पहले तक सुशांत छठ और गर्मी की छुट्टियों में अक्सर ही अपने परिवार के साथ यहां आया करते थे.

पिछले साल पहुंचे थे अपने गांव
बताया जाता है कि सुशांत को गांव के जीवन से खासा लगाव था. यही वजह रही कि 17 साल के लंबे वक्त के बाद भी जब वे पिछले साल 11 मई को मुंडन की रस्मों की अदायगी के लिए पूर्णिया पहुंचे तो उन्हें बचपन में हर एक पल बखूबी याद थे. यहां तक कि घर का कौन सा सामान सालों पहले कहां रखा जाता था उनके जहन में ये स्मृतियां एकदम ताजा थी. सुशांत जब 16 साल के थे, तभी उनके सिर से मां का साया छिन गया था.

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