पूर्णियाःजिले में सर्दी के मौसम में कुछ वर्ष पूर्व तक ऊनों की दुकानें सजी हुआ करती थी. लेकिन समय बदलने के साथ इन दुकानों की संख्या कम होती गयी. अब गिनती के कुछ दुकानदार ऊन का व्यवसाय कर रहे हैं. लेकिन फिर भी ऊनों के ग्राहक नहीं आ रहे हैं. जिससे उनके सामने पूंजी निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
पूर्णिया: ठंड में ऊन दुकादार कर रहे ग्राहकों का इंतजार - shops were decorated with wool in kachhari road and gulab bagh
सर्दियों के मौसम में दुकानें रंग-बिरंगे ऊनों से सजी हुआ करती थी और महिलाएं-लड़कियां अक्सर गर्म कपड़े बुनते दिखाई देती थी. लेकिन बदलते मौसम के साथ उसमें परिवर्तन हुआ और अब दुकानदार दुकान सजाकर ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं.
ऊन का धंधा हुआ मंदा
कभी ऊन व हाथों से बुनी ऊनी वस्त्र के बाजार के रूप में मशहूर रहे कचहरी रोड के व्यापारी कहते हैं कि एक दशक पूर्व कचहरी रोड व गुलाबबाग में दुकानें ऊनों से सजी रहती थी. सर्द आते ही बाजार की ज्यादातर दुकानें रंग बिरंगे ऊन और एक से बढ़कर एक हाथ से बुने हुए ऊनी वस्त्रों के वैराइटीज से सज जाती थी. जहां पूर्णिया ही नहीं बल्कि समूचे कोसी और सीमांचल के ग्राहक बुने हुए ऊनी वस्त्र की खरीद के लिए पहुंचते थे. अब रेडीमेड गर्म कपड़ों ने ऊन दुकानदारों के सामने संकट खड़ा कर दिया है.