पूर्णिया का स्पैरोमैन शुभम कुमार पूर्णिया:आज विश्व गौरैया दिवस पूरे विश्व में गौरैया के संरक्षण और संवर्धन को लेकर मनाया जा रहा है. वहीं पूर्णिया के एक युवक शुभम कुमार गौरैया प्रजाति के पक्षी को बचाने और बढ़ाने के लिए पालनहार की भूमिका निभा रहे हैं. पक्षियों के प्रति इनका प्रेम ही है कि आज शुभम का घर गौरैया का घर बना हुआ है. हर तरफ से गौरेया के चहकने की आवाज सुनी जा सकती है.
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पूर्णिया का स्पैरोमैन शुभम कुमार: बिहार का राजकीय पक्षी गोरैया अब देखने को कम ही मिलती है लेकिन पिछले 4 साल से पूर्णिया के गुलाब बाग के रहने वाले शुभम ने अपने घर में घोंसला बनाकर गौरैया का संरक्षण देने का काम किया है. शुभम बताते हैं की वातावरण अनुकूल रहने के चलते आसपास की सैकड़ों गौरैया यहां प्रवास करती हैं.
'हम पक्षी उन्मुक्त गगन के कविता ने बदली जिंदगी':शुभम का कहना है कि बचपन से ही मुझे पक्षियों से बहुत जुड़ाव था. बचपन से ही चिड़िया को देखकर खुशी मिलती थी. मैं चिड़िया को दाना खिलाता था. पिताजी मेरे लिए एक बार एक तोता खरीद के लाए. मैंने एक कविता पढ़ी हम पक्षी उन्मुक्त गगन के.. यह पढ़ने के बाद काफी प्रभावित हुआ. उसके बाद से शुभम ने पक्षियों को पिंजरे में नहीं रखा बल्कि अनुकूल माहौल बनाकर दिया ताकि वे अपनी मर्जी से सुरक्षित वातावरण में रह सकें.
"मैंने पिंजरे से तोते को उड़ा दिया. पशु पक्षी हमारी भाषा नहीं समझते हैं लेकिन भावना को जरूर समझते हैं. पक्षी अच्छे से समझते हैं कि कौन मित्र हैं और कौन शत्रु हैं. मैं पक्षियों को अनुकूल माहौल देने का प्रयास करता हूं. सब इंतजाम करता हूं."-शुभम कुमार, स्पैरोमैन , पूर्णिया
शुभम के प्रयास से माता-पिता भी खुश:शुभम के पिता और मां दोनों ही शुभम के कार्यों की प्रशंसा करते हैं. उन्होंने बताया कि शुभम के प्रयासों से चिड़ियों के चहचहाने की आवाज से नींद खुलती है और फिर दाना देने के बाद ही शांति मिलती है. शास्त्रों में भी गौरैया का महत्व दर्शाया गया है जबकि घरों में लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. बरहाल गौरैया बिहार का राजकीय पक्षी जरूर है लेकिन इसके संवर्धन और विकास के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा, ऐसे में शुभम का प्रयास सराहनीय है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है.
"चिड़ियों के चहचहाने की आवाज बहुत मनोरम लगती है. सुबह में जब तक मैं दाना ना डालूं ये चहकते रहती हैं. मन करता है दिनभर इनको सुनते रहूं."-शीला रानी जायसवाल, शुभम की मां
"शुभम पक्षियों का ख्याल रखता है. गौरैया को घर में रहने के लिए वातावरण दिए हैं. गौरैया पहले अंडा देती है फिर उससे बच्चा निकलता है. जब गौरैया उड़ जाती है तो मैना आ जाती है. मैना भी अंडे से बच्चा निकलने के बाद उड़ जाती है फिर दूसरी चिड़िया आ जाती है. ये सब हमें बहुत अच्छा लगता है. हम कौआ को भी रोटी रखते हैं."-युगल किशोर जायसवाल, शुभम के पिता