पूर्णियाःकेंद्रीय कारा पूर्णिया(Purnea Central Jail) के बंदियों के रहन सहन में इन दिनों काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. कारा के कैदियों का साफ कहना है कि अब जेल में भी घर जैसा माहौल मिल रहा है. दरअसल पूर्णिया केंद्रीय कारा के 77 बंदी इन दिनों जेल में ही बने निर्माणशाला में वस्त्र निर्माण समेत कई तरह के लघु और कुटीर उद्योग (Prisoner Become Skill Worker In Purnea) में जुट गए हैं. यहां इनको रोजगारपरक कामों की ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे की ये कुशल कामगार बन गए हैं.
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जेल अधीक्षक राजीव कुमार झा ने कहा कि जेल में बन्दियों के द्वारा हस्तकरघा, पावरलूम के माध्यम से 77 बंदी सूती और खादी के कपड़े बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा इन्हें सिलाई मशीन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. साथ ही यहां के बंदी पापड़, अगरबत्ती, मोमबत्ती समेत कई अन्य चीजों का भी निर्माण कर रहे हैं. इसके लिए इन कैदियों को कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.
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राजीव कुमार झा ने बताया कि इसका मात्र एक ही उद्देश्य है कि कारा में बंदियों को रोजगार के प्रति शिक्षा से अवगत करना. ताकि जब यही कैदी अपनी सजा काट कर जेल से बाहर निकलें तो वे अपना स्वरोजगार भी कर पाएं. साथ ही ये बंदी समाज के मुख्य धारा से भी जुड़ पाएंगे. ये लोग कौशल विकास से प्रशिक्षण ले रहे हैं, तो बाहर में इन्हें आसानी से बैंक से लोन भी मिल पाएगा.
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बता दें कि बिहार की कई जेलों में दिनों कैदियों का खास ख्याल रखा जा रहा है. जेल में लगातार प्रशासन द्वारा छापेमारी कर वहां के हालात का जायजा भी लिया जाता है. साथ ही कैदियों को कई हुनर भी सिखाए जा रहे हैं. ताकि वो सजा काटने के बाद एक आदमी की तरह अपनी जिंदगी गुजार सकें. साथ परिवार चलाने के लिए उन्हें कुछ रोजगार भी मिल सके या वो खुद अपना कुटीर उद्योग लगा सकें. जेलों में केदियों को दी जा रही ये ट्रेनिंग उनके लिए वरदान साबित हो रही है.
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