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कटाव के खौफ से ग्रामीण कर रहे 'परमान' की पहरेदारी, महज 2 फीट का है फासला - बायसी प्रखंड

मॉनसून नजदीक आते ही बिहार पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है. ऐसे में बाढ़ पूर्व कार्यों का मुकम्मल होना अतिआवश्यक है, लेकिन कई इलाकों में यह काम ठंडे बस्ते में पड़ा है.

पूर्णिया
पूर्णिया

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Published : Jun 17, 2020, 3:25 PM IST

Updated : Jun 24, 2020, 10:22 AM IST

पूर्णिया: त्रि नदियों से घिरा बायसी शुरुआत से ही बाढ़ और कटाव की मार झेलता आ रहा है. वहीं मॉनसून की दस्तक के साथ ही परमान नदी के बढ़ते पानी ने बायसी की कई बस्तियों पर अस्तित्व का गहरा संकट पैदा कर दिया है.

नदी से कटाव की स्थिति

लगातार हो रही बारिश के कारण प्रलयकारी परमान से लगे बायसी के दो वार्डों में गहरे कटाव ने हजारों की आबादी की चिंताएं बढ़ा दी हैं. वहीं कटाव से इन बस्तियों की दूरी महज 2 फिट ही शेष रह गई है, जिसके चलते मजबूर होकर ग्रामीण अब खुद रात्रि प्रहर में परमान की पहरेदारी कर रहे हैं.

नदी से कटाव की स्थिति

खौफ के साए में हजारों की आबादी

यूं तो समूचा बायसी प्रखंड महानन्दा, कनकई और परमान जैसी त्रि नदियों से घिरा है, लेकिन इस वक्त जिस नदी का पानी लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, वह परमान है. लगातार जारी बारिश के कारण परमान नदी के किनारे स्थित वार्ड संख्या 1 व 2 में दर्जनों गांव कटाव के खौफ में जी रहे हैं. वहीं वे गांव जिनके सैकड़ों परिवार किसी भी वक्त कटाव की चपेट में आकर परमान की गोद में समा सकते हैं. इनमें हाथीबंधा व हंतौर शामिल हैं. कटाव से इन घरों की दूरी घटकर महज 2 फीट ही रह गई है.

नदी से कटाव की स्थिति

ग्रामीण कर रहे रात्रि में परमान की पहरेदारी

हैरत की बात है कि इन सब के बावजूद प्रशासन पूरी तरह आंखे मूंदकर बैठा है. गांव को परमान की प्रचंड वेगों से बचाने के लिए इन दिनों ग्रामीण रात्रि पहरेदारी कर रहे हैं. दरसअल ग्रामीणों की मानें तो कई बार मदद के लिए गुहार लगाई गई, लेकिन न तो प्रशासनिक अमला और न ही कोई जनप्रतिनिधि सहायता के लिए आगे आये हैं.

देखें ये रिपोर्ट

तबाही से महज 2 फीट दूर!

ईटीवी भारत से आपबीती सुनाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि हाथीबंधा व हंतौर गांव में पहले भी कई परिवार काल के गाल में समा चुके हैं. उस वक्त भी मामूली मुआवजे और प्रशासनिक आश्वासन से काम चलाया गया था. हर साल की यही स्तिथि है कि सैलाब में ये गांव पूरी तरह डूब जाता है. वहीं पानी निकासी के बाद लोग फिर से गांव की ओर लौट आते हैं. लेकिन बीते कुछ सालों से लगातार जारी कटाव के कारण हाथीबंधा जैसी बस्तियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है. ग्रामीणों के मुताबिक कटाव की क्रूर मार के कारण इसके ज्यादा भूभाग परमान के पानी में समा चुके हैं.

घर तक पहुंचा पानी

तेजी से हो रहा भू-क्षरण

वहीं, लॉकडाउन के प्रभाव से भरपूर हुई बारिश के कारण पनमार के पानी में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. नदी की तेज धारा ने मई में तेजी से दो गांवों के भूभाग का क्षरण किया. देखते ही देखते अब परमान की प्रचंड धाराएं इन दो गांवों के सैकड़ों घरों के बेहद करीब आ पहुंची हैं. इन घरों से कटाव की दूरी अब महज 2 फीट के आस-पास ही रह गई है.

भू क्षरण की तस्वीर

वहीं मॉनसून की दस्तक के बाद ग्रामीणों के माथे की शिकन और बढ़ गई है, जिसके चलते ग्रामीणों ने रातजग्गा के साथ ही दिन में पहरेदारी शुरू कर दी है. कोई अनहोनी न हो इसलिए ग्रामीणों ने परमान के पानी पर आंखे गड़ाए रखी हैं.

पानी में डूबीं सड़कें

'झांकी मारने भी नहीं आते सरकारी बाबू'

वहीं गांव के मुखिया व सरपंच की मानें तो कई बार स्थानीय विधायक व प्रखंड विकास पदाधिकारी से इसकी शिकायत की गई है, जिसके बाद वे नापी और जायजा लेने तक पहुंचे मगर इसके बाद काम लगना तो बहुत दूर अब तक कोई झांकने तक नहीं आया है. बहरहाल जल्द ही इन गांवों में कटाव रोधी कार्य शुरू नहीं किए गए तो बाढ़ के समय स्थितियां और विकराल हो सकती हैं.

Last Updated : Jun 24, 2020, 10:22 AM IST

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