पूर्णिया: पड़ोसी देश पाकिस्तान के अलावा बिहार के पूर्णिया जिले में भी एक पाकिस्तान बसता है, जहां के लोगों ने अब अपने गांव का नाम पाकिस्तान से बदलकर 'बिरसा नगर' करने की मांग उठाई है. ग्रामीणों का कहना है कि पाकिस्तान नाम होने के कारण उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता है.
बिहार के पूर्णिया जिले के श्रीनगर ब्लॉक में सिंधिया ग्राम पंचायत के पाकिस्तान गांव के लोगों ने गांव का नाम बदलने के लिए जिलाधिकारी के नाम का एक सामूहिक आवेदन पत्र अंचलाधिकारी (बीडीओ)को सौंपा है. पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार ने कहा कि उनके पास अभी तक आवेदन पत्र नहीं आया है, लेकिन अगर ऐसा है तो प्रक्रिया के मुताबिक गांव का नाम बदलने की पहल की जाएगी.
बहुत शर्मिंदा होना पड़ता है-स्थानीय तो क्या नाम रखा जाएगा...
जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर इस गांव में सिर्फ आदिवासी समुदाय के ही लोग रहते हैं. यहां की कुल आबादी करीब 1200 है. यहां के लोगों ने पाकिस्तान गांव का नाम बदलकर भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर गांव का नाम बिरसा नगर करने का फैसला किया है.
पत्र में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा
आवेदन पत्र में ग्रामीणों ने लिखा है कि आए दिन पाकिस्तान का भारत में आतंकवाद फैलाना और भारत के प्रति जहर उगलना अब बर्दाश्त से बाहर हो गया है. अब यहां के लोगों को पाकिस्तान नाम से नफरत हो रही है, जिस कारण गांव के लोग सामूहिक रूप से अपने गांव का नाम बदलने का फैसला किया है.
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ग्रामीणों का कहना है कि गांव का पाकिस्तान नाम होने के कारण कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण तो यहां तक कहते हैं कि गांव का नाम पाकिस्तान होने के कारण बेटे, बेटियों की शादियां भी तय करने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
विकास से कोसों दूर है गांव
इस गांव (टोले) में न तो कोई स्कूल है न ही कोई अस्पताल. पाकिस्तान टोला से स्कूल 2 किमी दूर है, जबकि अस्पताल यहां से करीब 12 किलोमीटर दूर है. ग्रामीणों कहते है कि, विकास के नाम पर यहां बदहाल कच्ची सड़कें हैं. इसके साथ बच्चों का भविष्य खतरे में है.
ऐसे पड़ा इस गांव का नाम
इस टोले का नाम पाकिस्तान कैसे पड़ा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है, लेकिन यहां के कुछ लोग बताते हैं कि, भारत विभाजन के समय 1947 में यहां रहने वाले अल्पसंख्यक परिवार पाकिस्तान चले गए. इसके बाद गांव का नाम लोगों ने पाकिस्तान टोला रख दिया.
- एक दूसरी कहानी 1971 भारत-पाक युद्ध से जुड़ी है. कहा जाता है कि युद्ध के समय पूर्वी पाकिस्तान से कुछ शरणार्थी यहां आए और उन्होंने एक टोला बसा लिया. इन शरणार्थियों ने टोला का नाम पाकिस्तान रखा. बांग्लादेश बनने के बाद वे वापस चले गए, जिसके बाद इलाके का नाम पाकिस्तान टोला पड़ गया.