पूर्णियाःजरूरी नहीं कि सरहद पर डटकर ही देश सेवा की जाए. दिल में सच्ची देशभक्ति है तो इसके और भी कई मायने हो सकते हैं. ये लाइनें पूर्णिया जिले में रहने वाले अनिल चौधरी पर बिल्कुल फिट बैठते हैं. वे बीते 15 सालों से यहां वहां पड़े तिरंगे झंडे को इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं. उनकी इस मुहिम से जिले में बड़े पैमाने पर परिवर्तन देखने को मिला.
बचपन से था फौजी बनने का सपना
शहर के रजनी चौक स्थित विवेकानंद कॉलोनी में रहने वाले अनिल चौधरी पेंटिंग की दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. अनिल बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही इंडियन आर्मी में शामिल होकर देश सेवा का शौक था. उनके पिता विंदेश्वरी प्रसाद चौधरी फौज में थे. वहीं, छोटे भाई अरुण चौधरी बीएसएफ में हैं. अनील भी फौज में शामिल होकर देश सेवा करना चाहते थे. हालांकि उनकी यह ख्वाहिश अधूरा ही रह गई.
लोग फेंक देते हैं तिरंगा
अनिल चौधरी को अपने पिता और भाई की तरह फौज में शामिल होकर देश सेवा का मौका नहीं मिल पाया. स्वत्रंतता दिवस हो या गणतंत्रत दिवस समारोह के बीतते ही तिरंगे को लोग यहां-वहां फेंक देते हैं. जिसे अनिल एकत्रित करते हैं.
मुहिम दिखा रहा असर
शहर की सड़कों व गलियों और कुचों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फेंके गए झंडे के प्रति चलाए गए उनके इस मुहिम ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया से जुड़े लोग झंडों को एकत्रित कर अनिल चौधरी से संपर्क साधते हैं और ये उन्हें दे देते हैं.