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छठ समापन के बाद लगा गंदगी का अंबार, बदबू के कारण लोगों का जीना मुहाल

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Published : Nov 5, 2019, 3:01 PM IST

छठ पूजा के समापन होते ही घाटों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. गंदगी और बदबू के कारण लोगों का जीना मुहाल हो रहा है.

छठ समापन होने के बाद लगा गंदगी का अंबार

पूर्णिया:रविवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिए जाने के साथ ही लोकआस्था का महापर्व छठ का समापन हो गया. छठ खत्म होते ही शहर में चारों ओर गंदगी का अंबार लगा है. कल तक पावन नजर आने वाले नदी, तालाब और पोखर आज कचरे की चादर में लिपटे नजर आ रहे हैं.

दरअसल, स्वच्छता और नैतिक दायित्वों से जुड़े सवालों के बीच ईटीवी भारत की टीम जिले के सभी प्रमुख छठ घाटों का मुआयना करने निकली. इसी क्रम में ईटीवी भारत की टीम ने पक्की तालाब छठ घाट ,कला भवन छठ घाट ,पॉलीटेक्निक छठ घाट और सौरा नदी छठ घाट का जायजा लिया. हैरत की बात यह है कि जो छठ घाट कल तक पवित्र और पावन नजर आ रहे थे, आज इन घाटों पर कचरे का अंबार लगा हुआ है.

छठ समापन होने के बाद लगा गंदगी का अंबार

गंदगी और बदबू के कारण लोगों का जीना मुहाल
नगर निगम से उदासीन रवैये के कारण लोगों में मायूसी है. इनका कहना है कि जो काम निगम को करना चाहिए वो ये खुद कर रहे हैं. बीते कई सालों से आस्था के बाद उपजी त्रासदी का सितम झेलती आ रही अंजू देवी बताती हैं कि हर साल वह प्रशासन की ओर से साफ-सफाई की राह देखती हैं. लेकिन कोई सुध लेने नहीं आता. गंदगी और बदबू के कारण जीना मुहाल हो जाता है. थक हार कर ये खुद हा परिवार के साथ मिलजुल कर सफाई करती हैं.

नहीं हो रही साफ-सफाई

कई बीमारियों का मंडरा रहा खतरा
मत्स्य विभाग कर्मचारी शंभु कहते हैं कि आस्था के नाम पर गंदगी न फैलाने को लेकर लिहाजा बजापते बोर्ड भी लगाया जाता है. मगर लोगों पर इनका कोई खासा असर नहीं दिखता. हर साल वही स्थिति झेलनी पड़ती है. इस वक़्त यहां काफी गंदगी और बदबू फैली हुई है जिस कारण इन्हें अनेक रोगों का खतरा सताने लगा है. खतरनाक मच्छर और जमाने के साथ पैदा हो रही नई बीमारियों के डर के साये में ये जी रहे हैं.

जानकारी देते स्थानीय

खुद भी साफ-सफाई का रखें ख्याल
ट्री मैन के नाम से मशहूर एस एन गौतम की मानें तो सभी को अपनी नैतिक जिम्मेदारी उठानी चाहिए. ये कहते हैं कि प्लास्टिक ,बोतल या अन्य गैर जरूरी चीजों को हमों छठ घाटों पर फेंकने के बजाए उन्हें वापस साथ ले जाना चाहिए. एस एन गौतम का कहना है कि जिस तरह पूजा सामग्रियों के जलने व इनके प्रयोग के बाद हम उन्हें कूड़ेदान में फेंकते हैं ठीक उसी तरह हमें इसे वर्ज्य पेटी में रखना चाहिए ताकि नदी ,तालाब और पोखर स्वच्छ और सुंदर रहे.

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