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पूर्णिया: बाजार में नहीं मिल रहा उपज का उचित दाम, मजबूरन मिर्च फेंकने को विवश हुए किसान

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Published : Jun 17, 2020, 8:38 AM IST

कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन की मार जितना आम जनजीवन पर पड़ा है. उससे ज्यादा किसानों पर पड़ी है. सब्जियों के सही दाम नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. वे अपनी सब्जियों को फेंकने पर मजबूर हो रहे हैं.

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पूर्णियाः आम जनजीवन के हर एक क्षेत्र पर कोरोना संक्रमण का गहरा असर पड़ा है. वहीं इसकी सबसे अधिक मार किसानों पर पड़ी है. बाजारों से आए दिन सब्जियों के सड़ने या फिर सही रेट न मिलने के कारण रद्दी में सब्जियों के फेंके जाने की तस्वीरें सामने आ रही हैं.

ऐसे ही एक किसान सुनील कुमार हैं. जिन्होंने इंजीनियरिंग छोड़ किसानी को हाथ लगाया और हरी मिर्च की खेती की. लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें हरी मिर्च की फसल का उचित दाम नहीं मिल सका. जिसके चलते थक हारकर इन्हें अपना सारा मिर्च जलाशय में फेंकने पर मजबूर होना पड़ा.

लॉकडाउन ने फेर दिया किसानों के आशाओं पर पानी
दरअसल, इन सब को लेकर ज‍िले के धमदाहा प्रखंड के बरकौना में रहने वाले 28 वर्षीय सुनील कुमार बताते हैं कि मिर्च की खेती में बेहतर संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने चार एकड़ में मिर्च की फसल लगाई. मगर इसके ठीक बाद ही कोरोना संक्रमण फैला. जिसके बाद देखते ही देखते लॉकडाउन ने इनकी सारी आशाओं पर पानी फेर दिया. वहीं इसके चलते मुनाफा तो दूर लागत पर भी ग्रहण लग गया.

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आखिर क्यों किसान को फेंकने पड़े सारे मिर्च
सुनील कहते हैं कि मिर्च का सही दाम नहीं मिलने के कारण उन्हें ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ा. पहले व्‍यापारी गांव तक आकर इसे खरीद ले जाते थे. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के भय से खरीदारों के दर्शन दुर्लभ हैं. लिहाजा मिर्ची का रेट गिर गया. जिसके चलते ऐसे हाल में मिर्ची फेंकने की नौबत आ बनी.

वहीं, सुनील कहते हैं कि उन्हें इस बात की उम्‍मीद थी कि इस साल उन्हें मिर्च पर 50-80 रुपये किलो का भाव मिलेगा. मगर कोरोना के भय ने हालात ऐसे पैदा कर दिए कि लोग अब इसे एक रुपये किलों में भी खरीदने को तैयार नहीं हैं.

मुनाफा दूर लागत तक निकालना हुआ मुश्किल
यह कहानी अकेले सुनील की नहीं है. पूर्णिया जिले में सब्‍जी और फलों के किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. किसानों को उनकी तैयार फसल के खरीदार नहीं मिल रहे और अगर मिल भी रहे हैं, तो फसल के दाम नहीं मिल पा रहे है. इस स्‍थ‍िति में किसान मेहनत से तैयार की गई अपनी फसल को बर्बाद होते देखने को मजबूर हैं.

सरकार से किसान की गुहार
सुनील कहते हैं कि किसान कर्ज लेकर फसल लगाते हैं और बड़ी मेहनत से फसल तैयार करते हैं. फसल के सहारे ही किसान सालभर अपने परिवार का पेट पालते हैं. फसल नहीं बिकने से किसान के सामने बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. सरकार से हमारी मांग है कि किसान की फसल को उचित मूल्य दें. नहीं तो किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएंगे.

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